गलतियों का दौर
By देबाशीष • Sep 7th, 2006 • Category: ज़िंदगी आनलाईनआलोक और पंकज ने पहले पहल देखा पर गूगल के हिन्दी विज्ञापन अब यूएफओ के दिखने जैसे विरले नहीं रहे, अक्सर दिख जाते हैं आजकल। देसीपंडित पर आज यह विज्ञापन देखा तो पता लगा कि गूगल वाले हिन्दी मसौदे के इश्तेहार स्वीकारने तो लगे हैं पर किसी तरह की कोई परख नहीं होती। हिज्जों की गलतियाँ, पूर्णविराम की जगह पाईप का प्रयोग, गूगल जैसे कंपनी से तो अपेक्षा थी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखा जाता। खैर शुरुवाती दौर है इसलिये गलतियाँ माफ कर देना ठीक होगा।