तीन गैरज़रूरी बातें
जी हाँ, खास काम की बातें नहीं हैं। पर कई बार फालतू चीज़ें बताने का भी तो दिल करता है। जीटॉक पर आपको बताता तो खफा हो जाते, ईमेल पर बताना खुद मुझे गवारा नहीं, तो पोस्ट तो बनती है न? शुक्र मनाईये कि इसको तीन अलग अलग पोस्ट बना कर नहीं डालीं।
तो पहली बात ये कि, मैंने न, अपने न, ब्लॉग का न, थीम बदल डाला है…हीहीहीही। गये तीन महीनों के बाद ऐसा थीम मिला जो जमा। इस थीम के प्रयोग से मैं एमआईटी के मीडियालेब के एक प्रयोग में भी अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा हूँ। थीम में काफी बदलाव किये हैं, हिन्दीकरण के अलावा। और इनमें पोस्ट से थंबनेल ईमेज निकाल कर मुखपृष्ट पर दिखाने की मौजूदा जुगत में इज़ाफा कर किसी अन्य चित्र को भी दिखाने के लिये वर्डप्रेस के कस्टम फील्ड का प्रयोग किया गया है। साथ ही गूगल विज्ञापन रैंडम रूप से बक्सों में दिखाये जाते हैं, जिसका विचार एडसेंस इंजेक्शन प्लगिन से मिला, माना जाता है कि इससे बैनर ब्लाईंडनैस खत्म होती है और क्लिक करने की संभावनायें बढ़ती हैं।
दूसरी, थोड़ी कम महत्वपूर्ण बात, यह कि रवि भैया और श्रीश के परिश्रम से हिन्दी चिट्ठों की निर्देशिका का जालस्थल अब हिन्दी में भी उपलब्ध है। यदि आप पंजीकृत हैं तो अंग्रेज़ी और हिन्दी में से कोई भी भाषा चुन सकते हैं अपने प्रोफाईल पृष्ठ पर। वैसे मुझे हैरत होती है कि इस जालस्थल पर रोज कई लोग पंजीकृत हो रहे हैं पर ज्यादातर अपने ब्लॉग नहीं जोड़ते। जो ब्लॉग जोड़ देते हैं, वो उसे क्लेम नहीं करते जिससे कि ब्लॉग के प्रोफाईल पृष्ठ पर रचयिता के रूप में उनका नाम नहीं दिखता। और जो क्लेम कर लेते हैं वो दुबारा रुख नहीं करते इस ओर। इस निर्देशिका पर आप अन्य चिट्ठों की समीक्षा लिख कर उनको रेटिंग प्रदान कर सकते हैं। ऐसे समय में जब सक्रियता और धड़ाधड़ शब्दों के बीच का फासला समझ न आता हो चिट्ठों की श्रेष्ठता का ये सामूहिक पैमाना हो सकता था। और कल क्या जाने इंडीब्लॉगीज़ के लिये केवल इसी निर्देशिका के क्लेम्ड चिट्ठों को ही शामिल किया जाय 😉
और अब सबसे कम महत्वपूर्ण बात, वो ये कि निरंतर के नये अंक के लिये अपनी रचना वचना भेजें! मुझे मालूम है आप नहीं भेजेंगे, और इसके समझने लायक कई कारण हैं। पहला ये कि आपका लिखा संपादित हो सकता है, तो फिर आपको क्यों भेजें, टीकमगढ़ से प्रकाशित साप्ताहिक त्राहिमाम् को ना भेजें (जो पारितोषिक में साढ़े सोलह कवियों का होम ब्लेन्ड कविता संग्रह भेजती है)। दूसरा ये कि आपका अपने ब्लॉग पर लेख जैसा जमता है, भले उसे फायरफॉक्स पर दीदें फाड़ कर देखना (पढ़ तो सकेंगे नहीं) पड़े, वो निरंतर के बेकार कलेवर पर जमेगा नहीं। तीसरा, आप सम्मानित, स्थापित वगैरह टाईप के हैं, आपके 49 छपे संकलन हैं और 5 प्रेस में तो निरंतर आपकी जूती के पास भी नहीं ठहरती, ब्लॉगिंग तो आप खैर हम सब को कृतार्थ करने आये हैं। तो लिखेंगे वही पुराने लोग। अनूप बार बार याद दिलाने पर किसी का कच्चा चिट्ठा, रवि भैया बिना याद दिलाये 2 – 3 लेख, बाकी सब अपनी श्रद्धानुसार। वैसे भी क्या भरोसा ये अंक भी डिलीट हो जायें। आप लिखेंगे? नहीं! आप क्यों लिखेंगे? 🙂
वाह नई थीम जम रही है, काफी डायनैमिक टाइप दिखती है।
चिट्ठा निर्देशिका हिन्दी कलेवर में जँच रही है। 😛
ये तो सच कहा जी, मेरा दिल भी कई बार ऐसा करता है। 🙂
1. भैया, ऐसा प्रयोग अपने बस का नहीं. किया तो ठीक. पर काहे कह कर ललचाते हो! 🙂
2. हिन्दी ब्लॉग्स पर टहल आये हैं.
3. सच बात है कि निरंतर पढ़ी ही नहीं. हमें लगा था कि ये आप लोगों का आपसी जमावड़ा है. 🙂
अजी क्या भेजना है। कविता, कहानी, लेख, व्यन्ग्य? हम सारे काम आखरी तारीख के हिसाब से करते है सो यह भी बताओ कि लास्ट डेट क्या है ?
हिन्दी चिट्ठाकार अभी claim करने में संकोच करता है, शायद काफी लोग सक्षम नहीं हैं, जो सक्षम हैं उन के पास समय नहीं है। दूसरा हिन्दीब्लॉगस् पर अर्जी भरने पर अगर आपने ब्लाग को reject किया तो बताना तो चाहिए। हि.मस्टडाउनलोड्स डॉटकॉम register करी पर पता नहीं reject कयूँ हुई, अगर निरन्तर आ सकता है तो यह क्यू नहीं, वैसे अधिकार आपका है, मगर सूचना आती तो अच्छा लगता। pending and rejected लिन्क भी control panel में दिखने चाहिएँ। एग्रीगेटरों की भी श्रेणी रखें।
हिन्दी चिट्ठों की निर्देशिका की प्रारूप परिकल्पना जितनी अच्छी है वहां जाना उतना ही उबाऊ और निरर्थक. शायद यही कारण है कि लोग बार-बार वहां नहीं जाते. आप लोग फिर से सोचिए कि उसको समसामयिक रूप से और प्रासंगिक कैसे बनाया जा सकता है. जरूरी हुआ तो माले मुफ्त सलाह बेमुरौवत कुछ हमारी तरफ से भी.
विपुल: क्लेम करने की प्रक्रिया से वाकई लोग बचना चाहते हैं पर मेरा उद्देश्य ये था कि वे इस बहाने लिंकबैक करेंगे और दूसरा की लिंकबैक कड़ी काम की भी है जो संबद्ध चिट्ठे के प्रोफाइल पृष्ठ पर सीधे ले जाती है। रिजेक्टेड चिट्ठों को ईमेल सूचना इसलिये नहीं दी जाती क्योंकि ये स्प्लॉग भी हो सकते हैं। पर ये सही है कि कंट्रोल पैनल पर ये सूचना दी जा सकती है। पेंडिंग क्लेम्स की सूचना कंट्रोल पैनल पर पहले से ही है। मस्टडाउनलोड्स इसलिये शामिल नहीं की गई क्योंकि ये चिट्ठा नहीं है। पर मैं इस पर पहले से विचार कर रहा हूँ और कूल साईट्स की जगह ज़रूरी कड़ीयाँ रखने का एक पृष्ठ बनाने का विचार ज़रूर है।
संजयः बोरिंग शायद इसलिये लगता है क्योंकि साईट के बारे में वे पूर्णतः नहीं जानते। मसलन क्या आप जानते हैं कि आप किसी भी चिट्ठे के ताज़े पोस्ट चिट्ठे के प्रोफाईल पृष्ठ पर पढ़ सकते हैं? इस बारे में विस्तार से लिखता हूं। आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है, मुझे ईमेल कर जरूर लिखें।
ज्ञान: हिन्दी ब्लॉग्स निर्देशिका पर रोज़ टहलना सेहत के लिये भी अच्छा रहेगा 🙂 दुःख हुआ जानकर कि आपने निरंतर अब तक नहीं पढ़ी (अरररे देखो…ये PSPO नहीं जानता)। अब कुछ पढ़ी है तो अपने विचार बताईयेगा।
सुजाता: कहानी, कविता, व्यंग्य समीक्षा के लिये निरंतर की कोई डेडलाईन नहीं है, दरवाज़े सदा खुले हैं। बस हमारे कलेवर पर जमे इतना ही ध्यान रखना है। अब कह दिया है तो निभाना होगा, हम बाट जोह रहे हैं 🙂
पेंडिंग क्लेम्स की सूचना कंट्रोल पैनल पर पहले से ही है।
आप submitted चिट्ठे को जब तक सूची में डाल नहीं लेते, वो कहीं नजर नही आता, बंदा दो दिन देखता है, उसके बाद अगर database में जोड़ भी दें, वह वहाँ बार-बार देखने नहीं आएगा। pending से मेरा मतलब pending your approval है। & you can’t trust email notification.