वरà¥à¤œà¤¼à¤¨ वरण बनाम ईंटरà¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ माधà¥à¤¯à¤®
बजाज अपनी à¤à¤• वाहन शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के लिठबने टीवी विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ में रेडियो समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अमीन सायानी की आवाज़ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर रहा है। दरअसल यह à¤à¤• ही विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨Â है पर इसका पà¥à¤°à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¨ अदनान सामी के साथिया फ़िलà¥à¤® के लिठगाठà¤à¤• चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ गीत के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• हिनà¥à¤¦à¥€ अंतरे के बाद अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ अंतरों के पृथक कॉमà¥à¤¬à¥€à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨ के रूप में किया जाता है। नतीजतन, à¤à¤• ही विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨Â के कई संसà¥à¤•रण बन गठहैं। à¤à¤• अनà¥à¤¯ वाहन के विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨Â में चालक पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पंप पर आकर “पेटà¥à¤°à¥‹à¤²” का ही नाम à¤à¥‚ल जाता है। वहाठका मà¥à¤²à¤¾à¤œà¤¼à¤¿à¤® उसके कई सवाल बूà¤à¤¨à¥‡ के बाद सही शबà¥à¤¦ सà¥à¤à¤¾ पाता है। इस विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ के à¤à¥€ कई संसà¥à¤•रण दिखाठजाते हैं, कई दफा à¤à¤• ही कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• बà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤¸ के दौरान।
हालांकि जिस उदà¥à¤¯à¥‹à¤— से मैं जà¥à¥œà¤¾ हूठवहाठउतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ के अलाहदा संसà¥à¤•रण होना à¤à¤• ज़रूरी कवायद है (और इन संसà¥à¤•रणों के देखरेख के लिठà¤à¥€ अनà¥à¤¯ सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ की जरूरत पड़ती है), पर विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨Â जगत के लिठशायद यह नई बात है। विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ का मेमरी रिटेनà¥à¤¶à¤¨ यानी की जेहन में ताज़ा रहना उसकी सफलता के मà¥à¤–à¥à¤¯ आधारों में से à¤à¤• माना जाता रहा है। मà¥à¤à¥‡ याद है कि विको वजà¥à¤°à¤¦à¤‚ती का जो विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ छोटे व बड़े परà¥à¤¦à¥‡ पर दिखाया जाता रहा है उसकी संरचना व जिंगल गीत में कोई आज तक कोई à¤à¤¾à¤°à¥€ बदलाव नहीं किया गया, उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ के निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं की विञापनों की सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ छवि पर इतना à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ रहा है। संà¤à¤µ है कि यह तगड़े वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• आधार वाले उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ पर ही लागू होता हो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मà¥à¤•़ाबला तगड़ा है, जैसे कि शीतल पेय जैसे उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦, वहाठविजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ हर छमाही पर नठऔर बड़े सितारे के साथ बदल कर पेश होते रहे हैं। अब तक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ आधार पर ज़रूर à¤à¤• ही ईशà¥à¤¤à¤¹à¤¾à¤° के कई रूप होते रहे हैं, जैसे पेपà¥à¤¸à¥€ के जिस उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ का उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अकà¥à¤·à¤¯ कà¥à¤®à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हैं, उसी विञापन का दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•रण उनके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चिरंजीवी का सहारा लेता है। हाà¤, विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ का मसौदा वही होता है।
सिनेमा जगत में तो à¤à¤• ही कहानी पर लोग फिलà¥à¤® के वृहद संसà¥à¤•रण बना कर ही पेट पालते रहे हैं। बॉकà¥à¤¸ आफिस और सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की मांग हो तो पटकथा में बदलाव कोई बड़ी बात नहीं होती। पटकथा लेखक का मूल कथानक धरा का धरा रह जाता है और कहानी पर बाजार के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ जाते हैं। कहते हैं कि अमिताठकी असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² से सकà¥à¤¶à¤² वापसी के बाद मनमोहन देसाई ने मूल पटकथा का रà¥à¤– मोड़ कर कà¥à¤²à¥€ फिलà¥à¤® में अमिताठके किरदार को कà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤®à¥‡à¤•à¥à¤¸ में मौत को धता बताते दिखाया। मणिरतà¥à¤¨à¤® की फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ संसà¥à¤•रण बनते रहे हैं। 80 के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ में गà¥à¤²à¤¶à¤¨ कà¥à¤®à¤¾à¤° ने कॉपीराईट कानून की तहों में छेद खोज कर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मशहूर गीतों के रचनाकारों के अधिकारों की खिलà¥à¤²à¥€ उड़ाते हà¥à¤ वरà¥à¤œà¤¼à¤¨ गीतों का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ शà¥à¤°à¥ किया, यह पà¥à¤°à¤¥à¤¾ अब अधनंगे विडियो वाले रीमिकà¥à¤¸ गानों तक पहà¥à¤à¤š गयी है।
विषय पर वापस आना चाहूठतो मेरे कहने का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है कि किसी कथानक के अलाहदा अंत वाले संसà¥à¤•रण यदा-कदा ही देखने को मिलते हैं। कà¥à¤› समय पहले मैंने à¤à¤¸à¥€ à¤à¤• अंग़à¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ फ़िलà¥à¤® जरूर देखी थी (रन लोला रन) जिसमें à¤à¤• ही घटना अलग परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में घटती है और कथानक हर बार किसी अलग मà¥à¤•़ाम पर पहूà¤à¤šà¤¤à¤¾ है। ज़ी टीवी पर à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ परीकà¥à¤·à¤£ किया गया था, कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® “आप जो बोले हाठतो हाà¤, आप जो बोले ना तो ना” के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, जिसमें दरà¥à¤¶à¤•ों की राय के आधार पर कहानी मोड़ लेती थी। कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिठकि आपकी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वीडियो लाईबà¥à¤°à¥‡à¤°à¥€ में “à¤à¤• दूजे के लिऔ फिलà¥à¤® का मूल और सà¥à¤–ांत संसà¥à¤•रण दोनों मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ हों। सà¥à¤¨à¤¾ है कि रामगोपाल वरà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ फिलà¥à¤® पर कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं जिसकी कहानी के दो अलग तरह के अंत होंगे। अà¤à¥€ ये मालूम नहीं कि à¤à¤¸à¥‡ संसà¥à¤•रण à¤à¤• ही सिनेमा हॉल में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ होंगे या पà¥à¤°à¤¾à¤‚त और à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, पर ईंटरà¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ टीवी और सिनेमा के जरिठनिःसंदेह है कà¥à¤› नया करने की दिशा में यह सराहनीय व रचनातà¥à¤®à¤• कदम हैं।
Mujhe Hindi blog padhne mein bada mazaa aaya, main aati rahoongi…..The warmth that hindi exudes, very few languages do.
जहाठतक याद आता है, “सपने” फिलà¥à¤® के à¤à¥€ २ या ३ अंत थे. “शोले” के à¤à¥€ २ अंत बनाये गये, लेकिन वो फिलà¥à¤® पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¨ वालों की आपतà¥à¤¤à¤¿ के कारण. पहले वाले अंत में “ठाकà¥à¤°” , “गबà¥à¤¬à¤° सिंह” को अपने जूतों से कà¥à¤šà¤² कर मार डालता है. दूसरा अंत तो सबने देखा ही है.
आपका कहना सही है शैल पर ये Pre-release की बातें हैं, मैं बात कर रहा हूà¤, सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वरà¥à¤œà¤¼à¤¨ की जिसे फिलà¥à¤®à¥€ ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ में “Final Cut” à¤à¥€ कहा जाता है।
आप अचà¥à¤›à¤¾ लिखते हैं!!!
आप जà¥à¤ž को ञ की तरह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिखते हैं, जॠ+ ञ = जà¥à¤ž à¤à¤¸à¥‡ लिखें.
आपका
राजेश रंजन
शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ राजेश! बड़ी पारखी नज़र है आपकी। मैंने बहà¥à¤¤ तफà¥à¤¤à¥€à¤¶ की थी, पर तखà¥à¤¤à¥€ में à¤à¤¸à¥‡ कॉमà¥à¤¬à¥€à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨ से काम बन जाता है मालूम न था। काम चलाने के लिठ“जà¥à¤ž” तो “ञ” लिखता रहा। लगे हाथ à¤à¤• मदद और कर देवें, तखà¥à¤¤à¥€ में चनà¥à¤¦à¥à¤° की मातà¥à¤°à¤¾ कैसे टाईप कर पाते हैं (जैसे कि Anthony में अ पर जो मातà¥à¤°à¤¾ लगनी चाहिà¤)।
Debashish