शॉब्दोः अंग्रेज़ी-असमिया शब्दकोश

जाल पर भारतीय भाषाओं में लिखने वालों की तादात लगातार बढ़ रही है और इसके साथ ही आनलाईन शब्दकोशों की ज़रूरत भी। मैंने एजैक्स इनेबल्ड अंग्रेज़ी-हिन्दी आनलाईन शब्दकोश शब्दनिधि का ज़िक्र कुछ समय पहले किया था। प्रियांकू, जो कि पहले ज्ञात असमिया ब्लॉगर भी हैं, ने सूचना दी है ऐसे ही एक और शब्दकोश के […]

जून 2006 अंतिम सप्ताह के स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह

मेरा डिलिशीयस पुरालेखागार फीड्स 2.0एक और एग्रीगेटर जो आपके पढ़ने की शैली के अनुरूप स्वयं को ढालेगा। टैग: [aggregator feed newreader न्यूज़रीडर] विम्बलडन २००६चैम्पियनशिप ने प्रकाशित की है खबरों की अपनी आरएसएस फीड। टैग: [sports tennis wimbledon]

एक महाब्लॉगर से मुलाकात

कुछ दिन पहले अनूप का ईमेल आया, बोले जिन किताबों को भेंट करने का वायदा किया था वो देने स्वयं आ रहा हूँ। ज़ाहिर है जिन चिट्ठा मित्र से अब तक केवल फोन पर बातचीत हुई या फिर चित्रों में ही जिन्हें देखा हो उनसे मिलने की बात पर मन उत्साहित तो था ही, पर […]

दवा नहीं बैसाखी

मैं तब इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में था जब मंडल कमीशन की अनुशंसा के खिलाफ छात्र आंदोलन जोर पकड़ रहे थे। मुझे याद है, तब सीनियरों ने पकड़ पकड़ हम सब को इकट्ठा किया था और फिर भेड़ों की नाई चल पड़े थे हम “प्रदर्शन” करने। दोपहर जब पुलिसिया लाठियाँ चलीं तो जिसको जो रास्ता […]

जॉल बाचाईये, कॉल बाचाईये!

सरकारी विभागों में संदेशों की खास अहमियत है। हर साल का सरकारी बजट, काम करो न करो काम की नुमाईश करना ज़्यादा ज़रूरी है। हज़ारों योजनाओं के ज़िक्र आपको सरकारी बजट पर पनपते बिलबोर्ड, गाँव देहात में घरों और सरकारी अस्पतालों व स्कूलों की दीवारों और चिकने पृष्ठ वाली पत्रिकाओं में विज्ञापनों के द्वारा मिलेंगे। […]

युवा नेताओं की वाकई ज़रूरत है

विगत पोस्ट में राजनीति में युवा नेताओं के आगे बढ़ने की बात की तो कुछ युवा तुर्क याद आ गये। भारतीय राजनीति कि विडंबना है कि उच्च पदों की चढ़ाई एवरेस्ट की चढ़ाई करने जैसा है। जब तक चोटी के नज़दीक पहूँचते हैं शरीर जर्जर हो जाता हैं। न जिगर में महत्वाकांक्षा रहती है, न […]

सत्ता का भोग

हालिया असेंबली चुनावों के बाद काँग्रेस के हौसले बुलंद हैं। महिनों से जारी प्रक्रिया अंततः रंग ला रही है और राजकुमार के ताजपोशी के संकेत प्रबल होते जा रहे हैं। सरकारी प्रसार माध्यमों की टेरेस्ट्रीयल पहुँच बेजोड़ है, ये फ्री टू एयर हैं और यही कारण है कि कोई भी सत्तारूढ़ दल प्रसार भारती को […]

जस्ट वाना हैव फ़न

परिवर्तन का दौर है। नया आर्थिक परिवेश है। आधुनिक शहरी मानस अब न तो भारतीय रहा, न ही अमरीकी। त्रिशंकू बना बीच में ही कहीं झूल रहा है। “गर्ल्स जस्ट वाना हैव फ़न“, टाईम्स कह रहा है। “लड़कियाँ भी अब कैजुअल सेक्स से हिचकती नहीं। वन नाईट स्टैंड जोर पकड़ रहे हैं।” पल भर की […]