रीवà¥à¤¯à¥‚मी: कà¥à¤¯à¤¾ यह वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिटà¥à¤ ाकारिता है?
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ काफी छिदà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤¶à¥€ होते ही हैं॥ हर सेवा, हर चीज़ पर नाकà¤à¥Œà¤‚ सिकोड़ना, हर बात में नà¥à¤•à¥à¤¸ निकालना और यहाठतक की अपने बà¥à¤²à¥‰à¤— का नाम और विषय à¤à¥€ नà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¥€ रख लेना। पर और अगर यह सब करने के लिये पैसे à¤à¥€ मिलने लगे तो? “सà¥à¤µà¤ªà¥‹à¤·à¤¿à¤¤ बà¥à¤²à¥‰à¤—विधा” या “वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिटà¥à¤ ाकारिता” के समरà¥à¤¥à¤• मेरे कई बà¥à¤²à¥‰à¤— मितà¥à¤° यह सà¥à¤¨ कर उछल पड़े ही होंगे। अपने बà¥à¤²à¥‰à¤— पर तो ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° चिटà¥à¤ ाकार नई फिलà¥à¤® या संगीत के रीलिज़ की समीकà¥à¤·à¤¾ नियमित करते रहते हैं, हिनà¥à¤¦à¥€ बà¥à¤²à¥‰à¤—मंडल में ये अलबतà¥à¤¤à¤¾ ज़रा कम लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ विषय है। कà¥à¤› लोग उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ ज़िकà¥à¤° कर देते हैं, तकनीकी रà¥à¤à¤¾à¤¨ वाले तो इस ताक में ही रहते हैं कि कब गूगल नया शगूफा छोड़ें तो à¤à¤• पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ बनें।
वेब 2, ये जो à¤à¥€ है, में इन समीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का महतà¥à¤µ लगातार बà¥à¤¤à¤¾ ही जा रहा है। विशेषकर गूगल, टेकà¥à¤¨à¥‹à¤°à¤¾à¤¤à¥€ और वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ जैसे पà¥à¤°à¤•लà¥à¤ªà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माईकà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¥‡à¤Ÿà¥à¤¸ को तरजीह देने के बाद से इन का रà¥à¤†à¤¬ बà¥à¤¾ है। माईकà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¥‡à¤Ÿà¥à¤¸ कà¥à¤¯à¤¾ हैं यह तो ख़ैर निरंतर के आगामी अंक के à¤à¤• लेख का विषय है तो यह चरà¥à¤šà¤¾ अà¤à¥€ नहीं। तो माजरा शायद यों हो कि गूगल पर मà¥à¤‚बई के किसी खास इलाके में किसी रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ को खोजते समय अगर यह खोज ईंजन साईडबार पर लगे हाथों यहाठखाना चख चà¥à¤•े बà¥à¤²à¥‰à¤—रों या समीकà¥à¤·à¤•ों की पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का हवाला और उनकी दी रेटिंग को à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¾ दे तो बेशक आपको निरà¥à¤£à¤¯ लेने में काफी आसानी होगी। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शहरी की लगातार बà¥à¤¤à¥€ आनलाईन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤¼à¤° कà¥à¤¯à¤¾ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ कि निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ अपने उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ या सेवा की à¤à¤¸à¥€ “वरà¥à¤¡ आफ माउथ” पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को काफी महतà¥à¤µ देंगे। यह परिदृशà¥à¤¯ à¤à¤²à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिये अà¤à¥€ पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ लागू न हो पर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤¸à¤¾ होना शोले के रीमेक की सफलता जितनी अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तो नहीं है।
तो बात हो रही थी नà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¥€ करने के पैसे पर। यह बड़ा संवेदनशील मामला है। बà¥à¤²à¥‰à¤— हमेशा से संपादन तंतà¥à¤° के दायरे के बाहर रहे, बिंदास बोल के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ रहे। बà¥à¤²à¥‰à¤—रों से अपेकà¥à¤·à¤¾ रहती है कि वे बिना किसी दबाव, लालच या मतलब के लिखें। कà¥à¤› समय पहले à¤à¤• नामी टीवी समूह की à¤à¤• संपादिका से बात हà¥à¤ˆ थी, इनका à¤à¤• बà¥à¤²à¥‰à¤— तब उà¤à¤° रहा था, मà¥à¤à¥‡ तब लगा था कि हिनà¥à¤¦à¥€ चिटà¥à¤ ाकारों के समूदाय के संयोजन से लाठलेकर यह समूह जैसी आनलाईन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ और टीवी पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®à¤¿à¤‚ग में मदद चाह रहा है उसका कà¥à¤› उचित लाठà¤à¥€ चिटà¥à¤ ाकारों को मिल सके, वही वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिटà¥à¤ ाकारिता की बात। उनको इस बात पर हैरत हà¥à¤ˆ, अगर हम पैसे देने लगे तो फिर कà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤²à¥‰à¤—र बà¥à¤²à¥‰à¤—र रह पायेगा? तो, मामला टची है। मेरा निजी विचार यह है कि अगर बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग फà¥à¤°à¥€ होसà¥à¤Ÿ पर पड़े पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¹à¥€à¤¨ पृषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ जैसी बेजान बात होती तो फिर परवान ही न चà¥à¤¤à¥€à¥¤ जिस बात का महतà¥à¤µ है उसका कà¥à¤› मूलà¥à¤¯ à¤à¥€ होता है। हममें से कई इस विधा पर पैसे à¤à¥€ खरà¥à¤šà¤¤à¥‡ हैं। तो अगर इस शà¥à¤°à¤® पर कà¥à¤› आरà¥à¤¥à¤¿à¤• लाठमिले तो इसमें बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ ही कà¥à¤¯à¤¾ है? हो सकता है कि यह मà¥à¤à¥‡ अधिक, संखà¥à¤¯à¤¾ और गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ दोनों के तौर पर, लिखने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¥€ दे।
मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ शायद यह है कि पैसे के à¤à¤µà¤œ में किये लेखन का सà¥à¤¤à¤° कà¥à¤¯à¤¾ रहेगा और इसमें आपका अपना मत कितना रहेगा। मेरा कहना यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के मीडिया पर किसी पà¥à¤°à¤•ाशित लेख के à¤à¤µà¤œ में पैसे नहीं दिये जाते? पारिशà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• से लेख की गà¥à¤£à¤¤à¤¾ पर à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ सकता है जब तक कि पà¥à¤°à¤•ाशन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की टाईमà¥à¤¸ आफ इंडिया की à¤à¤¾à¤‚ति हर लेख को à¤à¤¡à¤µà¤°à¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤² में बदलने की सोची समà¤à¥€ नीति न हो। पैसे दे कर चिटà¥à¤ ाकारों से समीकà¥à¤·à¤¾ लिखवाने की पे पर पोसà¥à¤Ÿ नामक à¤à¤• सेवा है जिसमें बà¥à¤²à¥‰à¤—र बताये गये उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ की समीकà¥à¤·à¤¾ लिखते हैं और पैसे कमाते हैं। इस में नà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ यह है कि आप समीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ या सेवा की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ नहीं कर सकते, अगर निंदा की तो पैसे नहीं मिलेंगे। साथ ही à¤à¤¸à¥€ समीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के साथ कोई घोषणा नहीं की जा सकती थी जिससे कि पाठकों को यह पता चले कि फलां पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ दरअसल कोई à¤à¤¡à¤µà¤°à¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤² है। जाहिर है, इस की à¤à¤°à¥à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤
और शायद इसी से जनà¥à¤® हà¥à¤† है à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ ही नई सेवा का, रिवà¥à¤¯à¥‚मी। रिवà¥à¤¯à¥‚मी की खास बात यह है कि इसमें विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¤¨à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ चिटà¥à¤ ाकर को “अनूकूल ” या “पà¥à¤°à¤¶à¤‚सातà¥à¤®à¤•” समीकà¥à¤·à¤¾ लिखने के लिये विवश नहीं कर सकता। बà¥à¤²à¥‰à¤—र लिखे जो मन चाहे। à¤à¤• और खास बात यह कि उसे अपनी पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ में यह बताना होगा कि समीकà¥à¤·à¤¾ के लिये उसे पैसे मिले हैं। यानि मन में कोई चोर पालने की ज़रूरत नहीं। बस à¤à¤•मातà¥à¤° नियम यही है कि पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ कम से कम 200 शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की हो। अगर आप टेकà¥à¤¸à¤Ÿ लिंक की विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ सेवा में पंजीकृत हैं, जैसा कि मेरे मामले में था, तो आपके बà¥à¤²à¥‰à¤— पहले से ही रीवà¥à¤¯à¥‚मी में सà¥à¤µà¥€à¤•ृत होते हैं। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ आप उनके जालसà¥à¤¥à¤² पर रजिसà¥à¤Ÿà¤° कर आवेदन दे सकते हैं। पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समीकà¥à¤·à¤¾ पैसे कितने मिलेंगे यह आपके बà¥à¤²à¥‰à¤— की à¤à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸à¤¾ व टेकà¥à¤¨à¥‹à¤°à¤¾à¤¤à¥€ रेटिंग पर निरà¥à¤à¤° होता है। तो पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ तय राशि 20 से 200 डॉलर कà¥à¤› à¤à¥€ हो सकती है, इसका आधा आप की कमाई होती है। पे पर पोसà¥à¤Ÿ यह राशि अधिकतम 20 डॉलर है।
à¤à¤¸à¥€ सेवायें नई हैं और इनके à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का ठिकाना नहीं है। मानव मनोविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को समà¤à¤¨à¤¾ à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•िल का काम है, इस पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के अंत में लिखा डिसà¥à¤•à¥à¤²à¥‡à¤®à¤° पà¥à¤¨à¥‡ के बाद हो सकता आपकी राय इस पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ के बारे में तà¥à¤°à¤‚त बदल जाये। लेखक के तौर पर मैं à¤à¥€ नहीं कह सकता कि मैं यह पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¥€ पैसे न मिलने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में लिखता या नहीं। पर मैं इतना ज़रूर कह सकता हूं कि जो मैंने लिखा उसका मसौदा मà¥à¤à¤¸à¥‡ लिखवाया नहीं गया। पर हो सकता है बिना पà¥à¤°à¤•टीकरण के यह पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¨à¥€à¤¯ लगती।
मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ कई हैं। यह वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिटà¥à¤ ाकारिता के दायरे में आता है या नहीं, मतांतर तो होंगे ही। मेरी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त राय में रीवà¥à¤¯à¥‚मी के लिये निःसंकोच होकर लिखना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आसान होगा। आप कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं?
[पà¥à¤°à¤•टीकरणः यह पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ रीवà¥à¤¯à¥‚मी सेवा के लिये लिखी गई है।]
ये à¤à¥€ नया अंदाज़ है. अब ये बताना कि इस समीकà¥à¤·à¤¾ से कितने पैसे मिले?
मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€ इस पर खयाल आया – इस विषय पर लिखने के लिठआपका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦
अरे à¤à¤ˆ, आपको बड़ी कंपनियों का यह नियम मालूम नहीं कà¥à¤¯à¤¾ कि खà¥à¤¦ पैसे कमाओ पर दूसरों को नहीं कमाने दो:)
गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से कहें तो हर हिंदी लेखक/ चिटà¥à¤ ाकार को हक़ है कि वह अपनी विधा से, लेखनी से पैसे कमाà¤à¥¤ कंपनियों की बात कहने का हक़ हमें नहीं है पर यह मानते हैं कि सूचना -तकनीक में आयी कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति से अब हिंदी के लेखक में इतना दम है कि वह बिना किसी बड़ी कंपनी से जà¥à¥œà¥‡, पैसे कमा सकता है।
कंपनियां, चाहे जो हों, ( Times of India से लेकर कोई अनà¥à¤¯ कंपनी तक) अगर वे मà¥à¤«à¥à¤¤ में चिटà¥à¤ े लिखà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ के खà¥à¤µà¤¾à¤¬ देखती हैं तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शायद बदलà¥à¤¤à¥‡ जमाने की हवा का रà¥à¤– पता नहीं। इंटरनेट की दया से à¤à¤• इकलौता चिटà¥à¤ ाकार à¤à¥€ पैसे कमा सकता है, अगर उसमें पाठक खींचने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है।
और अगर वह ऎसा करता है, तो वह साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ का पातà¥à¤° है।