बस आगे बà¥à¤¤à¥‡à¤‚ रहें
पंकज के मà¥à¤µà¥‡à¤¬à¤² टाइप के अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के दौरान हà¥à¤ˆ चरà¥à¤šà¤¾ में मैंने या विचार रखे थे कि log, trackback, preview, template, password, username, archives, flag, bookmarklet जैसे पारिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤• शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जस का तस लिखना चाहिà¤, हर शबà¥à¤¦ का हिनà¥à¤¦à¥€à¤•रण उचित नहीं।
पंकज का मानना है:
मैं सोचता हूठकि अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤¸à¤¾ होना चाहिठजो कि à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥€ माधà¥à¤¯à¤® से दसवी पास वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ समठसक । यानि की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ उसने केवल छठी से दसवी तक पढ़ी हो। या फिर कोई सरकारी कारà¥à¤¯à¤²à¤¯ का बाबू à¤à¥€ समठसके।
विनय ने कहा:
जैसे-जैसे नठलोग आà¤à¤à¤—े और लिखेंगे, अपने आप à¤à¤• सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ और विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ शबà¥à¤¦à¤•ोश बनता जाà¤à¤—ा। शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ तो जायज़ हैं।
पंकज और विनय, आप दोनों की बात में दम है कि तकनीकी शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कि समठमें बसने लायक होना चाहिà¤à¥¤ जो दिकà¥à¤•त मैं देख पाया वह यह है कि यदि हम बोलचाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की अघिक चेषà¥à¤Ÿà¤¾ करें तो à¤à¤¾à¤·à¤¾ अशà¥à¤¦à¥à¤˜ होने का डर रहता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बोलचाल में तो हम हिनà¥à¤¦à¥€, खड़ी बोली, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€, उरà¥à¤¦à¥ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बोली का समà¥à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤£ बोलते हैं। दूसरी ओर यदि à¤à¤¾à¤·à¤¾ की शà¥à¤¦à¥à¤˜à¤¤à¤¾ पर षà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ करें तो शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ अति कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो कर जनसामानà¥à¤¯ के पहà¥à¤à¤š से दूर हो जाती है। शायद यही कारण है कि जहाठTrackback के लिठ“विपरीतपथ” जैसे शबà¥à¤¦ मà¥à¤à¥‡ अटपटे लगते हैं वही à¤à¤¸à¥‡ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ कोई हिनà¥à¤¦à¥€ समानारà¥à¤¥à¥€ à¤à¥€ नहीं सूठपड़ता। वहीं Blog के लिठ“चिटà¥à¤ ा” काफी जà¤à¤šà¤¤à¤¾ है।
तो जैसा विनय ने कहा, समय लगेगा, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोग अलगâ€-अलग शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ रचेंगे और अंततः कोई सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ शबà¥à¤¦ ज़बान पर चॠजाà¤à¤—ा। आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहना जरूरी है और पंकज आपका ये कदम हिनà¥à¤¦à¥€ को आगे लाने में अवशà¥à¤¯ ही मददगार साबित होगा और हम जैसो के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ à¤à¥€à¥¤

