नकली स्टीव जॉब्स का पर्दाफाश :)
करीब एक महीने पहले टेकगॉस के धनंजय ने मुझे एक ऐसे चिट्ठे की जानकारी दी थी जो एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स का एक पैरोडी ब्लॉग था। “द सीक्रेट डायरी आफ स्टीव जॉब्स” नामक इस चिट्ठे का लेखक खुद को स्टीव बताकर यह चिट्ठा चला रहा था। टेकगॉस पर उसका बेहद दिलचस्प साक्षात्कार भी छपा है।
पिछले 14 महीनों से लिखा जा रहा ये चिट्ठा बेहद लोकप्रिय हुआ, कहा जाता है कि ब्लॉग पर हर माह लगभग 7 लाख हिट्स होती थीं। ये तक कहा जाता था कि बिल गेट्स और खुद स्टीव इस चिट्ठे को पढ़ते थे। इसमें न केवल एप्पल के कर्ताधर्ता की सोच परिलक्षित होती थी बल्कि लेखक का तकनीक और तकनीकी कंपनियों के काम करने की पेचीदगियों का ज्ञान भी झलकता था। स्टीव की छवि कड़े और दंभी नेता की है और लेखक इसी बात को हल्के फुल्के ढंग से पेश करता था। साथ ही अन्य कंपनियों और सिलिकॉन वैली जैसे अनेक मसलों पर जोरदार व्यंग्यात्मक पुट तो रहता ही था, बिल गेट्स को बीस्ट मास्टर और गूगल के सीईओ एरिक को स्क्विरल बॉय पुकारा जाता था।
जाहिर है धुरविरोधी और अमर सिंह के ब्लॉग के अनाम लेखकों की तरह काफी लोग इस चिट्ठे के अनाम लेखक की तलाश में थे और यह काम आखिरकार न्यूयॉर्क टाईम्स के एक पत्रकार ने कर दिखाया। और ये अनाम लेखक निकले फोर्ब्स के तकनीकी विभाग में कार्यरत लेखक डेनियल ल्योंस। डेनियल ने कहा कि उन्हें हैरत है कि यह जानकारी इतने दिनों गुप्त रही। खबर बाहर आने पर पता चला कि फोर्ब्स के अधिकारी ये बात बाद में जान गये थे और अब वे इस ब्लॉग को आधिकारिक रूप से प्रायोजित भी करेंगे।
ये राज़फाश होने के बाद चिट्ठे के पाठक आशंकित हैं कि ये चिट्ठा बंद न हो जाय, हालांकि डेनियल ने लिखना जारी रखा है। गीगाओम शो, जिससे मुझे ये खबर मिली, में ओम मलिक ने कहा कि उनको लगता है कि ये सब डेनियल की अक्टुबर में प्रकाशित होने वाली नई पुस्तक “आप्शंसः द सीक्रेट लाईफ आफ स्टीव जॉब्स, अ पेरोडी” के प्रचार का हथकंडा मात्र है। नीचे दिये मामले से संबंधित विडियो भी देखना ना भूलीयेगा।
एक मज़ेदार बात ये कि न्यूयार्क टाईम्स ने नकली ब्लॉग की डेनियल के निजी ब्लॉग के लेखन से तुलना कर बात की पुष्टि की। तो धुरविरोधी की खोज उतनी मुश्किल नहीं जितनी प्रतीत होती है 😉
फ़ेक स्टीव जॉव्स कौन हैं? जुलाई 2007 में इसका कयास लगाता एक विडियो |
नकली स्टिव जॉब्स के बेनकाब होने की खबर, फोर्ब्स पर |
बड़ा मजेदार यह सब! धुरविरोधी के बारे में तमाम लोग जानते हैं लेकिन शायद वे दुबारा लिखने का मन नहीं बना पाये हैं अभी।
आपने अलग ही किस्म के तथ्य सामने रखे हैं टाईम्स आफ़ इण्डिया में छपी खबर से एकदम भिन्न…अच्छा है…
Be on the watch out. One cant fake Fursatiya for that would involve writing a lot! But one can fake you. 🙂
बढिया जानकारी दिये दादा, चाहे छद्म नाम से लिखा पर लेखनी में दम रहा होगा तभी तो प्रसंशक थे यह बात हमें समझ में आई। धन्यवाद।
“आरंभ” संजीव का हिन्दी चिट्ठा
सात लाख हिट्स के लिए सोचता हूं कि मैं भी कोई नक़ली ब्लॉग बना लेता हूं. चिर कंट्रोवर्सियल ओसामा का असली ब्लॉग कैसा रहेगा?
बढ़िया जानकारी!! शुक्रिया!!
कमी खलती है धुरविरोधी की!!
आपके दिए लिंक पढ़े, कहानी पूरी फिल्मी है, पर मजेदार। 🙂
धुरविरोधी कौन हैं, ये जानने से ज्यादा इच्छा हमारी ये है कि वे दोबारा लिखना शुरु करें।
रवि भैया, पता नहीं ओसामा वाले आपके प्रस्तावित ब्लॉग पर कितने हिट्स मिलेंगे पर इतना तो तय है कि आप बुश की हिट लिस्ट में तो जरूर आ जाओगे और जब बात का खुलासा होगा तो रतलाम आयेगा टाइम पत्रिका के चर्चित शहरों की सूची में। 🙂
तो रतलाम के भाइयों, अपने इस सपूत को अब घर की मुर्गी न समझो… ये तो आपका यूएस का वीजा है।