डॉ. नार्लीकर केवल समीकरणों और ब्रह्मांडीय सिद्धांतों के वैज्ञानिक नहीं थे। वे उस पीढ़ी के प्रतीक थे, जिन्होंने विज्ञान को सामान्य जनमानस से जोड़ा।
आगे पढ़ेंभारतीय ब्लॉग मेला: आमंत्रण
हर्ष का विषय है कि भारतीय ब्लॉग मेला पहली बार किसी अन्य भाषा के चिट्ठे पर अवतरित हो रहा है। यह नाम भी बड़ा उपयुक्त है, हालाँकि कंक्रीट के जंगलों में मेले अब होते नहीं पर मेले का नाम ज़ेहन में आते ही मनोरंजन ध्यान आता है, एक ऐसा आयोजन जहाँ विभिन्न विषयों पर लिखने […]
देह पर टिकी संस्कृति
अक्षरग्राम अनुगूँज – पहला आयोजन एक नज़र मायानगरी मुम्बई के एक अखबार कि सुर्खियों पर। सिनेमा के इश्तहार वाले पृष्ट पर मल्लिका अपने आधे उरोज़ और अधोवस्त्र की नुमाईश कर अपनी नई फिल्म का बुलावा दे रही हैं। पृष्ट पर ऐसे दर्जनों विज्ञापन हैं, औरत मर्द के रिश्तों को नए चश्मे से देखा जा रहा […]
वर्ज़न वरण बनाम ईंटरएक्टिव माध्यम
बजाज अपनी एक वाहन श्रेणी के लिए बने टीवी विज्ञापन में रेडियो सम्राट अमीन सायानी की आवाज़ का प्रयोग कर रहा है। दरअसल यह एक ही विज्ञापन है पर इसका प्रर्दशन अदनान सामी के साथिया फ़िल्म के लिए गाए एक चर्चित गीत के प्रारंभिक हिन्दी अंतरे के बाद अन्य भाषाई अंतरों के पृथक कॉम्बीनेशन के रूप […]
चिट्ठा विश्व का नया संस्करण
हिन्दी चिट्ठों के संसार की अनंतर दास्तां प्रस्तुत करने के प्रयास में कुछ सुधार के बाद, चिट्ठा विश्व नए रुप में प्रस्तुत है, जिसमें चिट्ठाकार व चिट्ठा परिचय के स्तंभ जोड़े गए हैं। पद्मजा और नीरव का धन्यवाद करना चाहुँगा जिन्होने इस कार्य में योगदान दिया है। जनभागीदारी की अपेक्षा रखते हुए आपका भी सहयोग […]
दौड़ बदलाव की
यदि मेरे यूँ नाक भौं सिकोड़ने से आप मुझे सहिष्णुता जैसा प्राचीन (और जिसे विलुप्त भी माना जा सकता है) न मान लें तो आज के युवा वर्ग पर मुझे कई मामलों में विस्मय और नाराज़गी की मिश्रित अनुभूति होती है। लड़के स्त्रियों की भांति मशरूम केश सज्जा के कामिल हैं, कानों में “बिंदास” बालियां […]