धाक में ब्लॉगवाणी चिट्ठाजगत से आगे ;)
चिट्ठाजगत तकनीकी रूप से समृद्ध एग्रीगेटर है, ब्लॉगवाणी से फीचर्स के मामले में अव्वल। दीगर बात है कि पैकेजिंग और रूप के मामले में चिट्ठाजगत पिछड़ जाता है। पर एक चीज़ जिसमें ब्लॉगवाणी चिट्ठाजगत से आगे है और वो है धाक का मामला, जी नहीं मैं फाँट वगैरह बनाने की धाक की नहीं 😉 बल्कि चिट्ठाजगत पर “धाक” संख्या और ब्लॉगवाणी पर “पसंद” संख्या की बात कर रहा हूं। चिट्ठाजगत की धाक स्वचालित रूप से आती है, मुझे नहीं पता कहाँ से आती है। पर ब्लॉगवाणी का खास फ़ीचर है “डिग” शैली का पसंदोमीटर।
कुछ समय पहले घुघुती जी ने लिखा था कि अपना लिखा पसंद है ये समझाने के लिये पसंदोमीटर में 1 थपकी तो दिखनी ही चाहिये। तो इस खुराफात 💡 को अंजाम देने के लिये आपको फायरफाक्स की ज़रूरत होगी। अब अपनी पोस्ट पर जाकर पसंदोमीटर को थपकायें, दूसरी थपकी देने पर वो आपको धमकायेगा कि “आपका मत दर्ज किया जा चुका है” वगैरह, पर आप हार न मानें। ब्राउज़र को रिफ्रेश करें और थपकी दुबारा लगायें। लग गया न? नहीं लगा तो एक बार और रिफ्रेश करें या ब्राउज़र बंद कर पुनः खोलें। बस अब जितना मन चाहें इस प्रक्रिया को दुहरायें। आज अपन ने ये बीड़ा उठाया और चुना एक ऐसी पोस्ट को जिसका शीर्षक मेरे मन की बात करता है, “कविता हमारे समय का सबसे बड़ा फ्रॉड है”। इसको देखिये कैसे ज़ीरो से हीरो बना दिया।
ध्यान दें कि इसमें कुकी वगैरह हटाने का दुष्कर्म नहीं किया गया। पर पसंदोमीटर पर सरसरी नज़र डालने पर अपन राम का मन कहता है कि ये राज़ कई और खुराफातियों को भी मालूम था 😆
पुनःश्च: अगर दिल पे लगी हो तो टिप्पणी करने का कष्ट न करें 🙂
मजेदार, अपनी पोस्ट खुद हिट करें, पूर्ण स्वालम्बी तरीका। पर भैया लीक नहीं करना था पब्लिकली अब मैथिली जी कोई नया जुगाड़ करेंगे। 🙂
चिट्ठाजगत की धाक स्वचालित रूप से आती है, मुझे नहीं पता कहाँ से आती है।
चिट्ठाजगत की धाक का मतलब है, आपके ब्लॉग (पोस्ट के नहीं) के बैकलिंकस्। पोस्ट के बैकलिंकस् का फॉरमुला भी बस थोडे़ दिन में।
अपना हाथ जगन्नाथ करें !
और यहा हमने वही तरीका प्रयोग किया था जिससे हम नारद मे आप अपनी हिट बढाते है..याद है ना..?
अच्छी खुराफात है.हाय पहले क्यों नहीं पता था.
कई बार सोचा,
देबाशिष भईया,
कि क्यों कालजई लेख
नही हो रहे हिट,
जितने चाहिए
होने हिट.
रहस्य बताया आपने
अच्छा,
कि कभी नहीं होंगे
सारे कालजई लेख आगे
जब तक मौजूद हैं
कालजई लेखक!
अच्छा रहस्य बताया
जो आपने,
अधिक समय देंगे अब
हिट करवाने में,
करके समय कम
लिखने का !!
— शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
क्या धाक है 🙂
भाई इस तरह के कोई भी प्रबन्ध फूलप्रूफ़ नही होते, सबसे पहले तो लोग-बाग खुराफ़ात करना नही छोड़ते, फिर एक और ग्रुप होता है जो शुरु से बवाल करता है ,इसको हटाओ, नही तो हमारी किलो किलो भर वाली पोस्ट को सिर्फ़ ५ हिट्स मिलेंग, उधर किसी बेनामी कवि को ४५, फिर तो हो गया ना इज्जत का फालूदा। जब यही काम नारद पर किया गया था तो सबने थू थू किया था, अब दूसरे कर रहे है, तो लो हाथो हाथ ले रहे है…..वाह रे जमाना। बकिया चकाचक।
देबू दा, कुछ भी हो, पंगेबाज तुम्हारा पीछा नही छोड़ता, वो गाना है ना, “तेरा पीछा ना, मै छोडूंगा सोणिए….”
लेकिन आई ई पर यह सुविधा क्यों नहीं है? मुझे यही सुविधा आई ई में भी चाहिए!
मैने कई लोगो से कहा की इसी बात के लिए नारद ने गालियाँ खायी अब कोई क्यों नहीं बोलता? आज यहाँ लिख रहा हूँ. विचारीक इमानदारी होनी चाहिए. खैर… कोई चीज फूलप्रुफ नहीं होती. मजे लें.
तरीका तो मालूम था, पर अपने लिये कभी प्रयोग नहीं किया. यह डाल-डाल-पात-पात करते रहें तो लिखें-पढें कब?
c/विचारिक/वैचारिक
यह कमी तो है. लेकिन कोई ऐसा भी हो सकता है जो अपने ही लिखे को थपकी देता रहे, समझ में नहीं आता. इस श्रेणी में तो उड़न तश्तरी की उड़ान सबसे ज्यादा है तो क्या अब हम शक करें. ना….बिल्कुल नहीं.
अरे देबू दा, आज दोबारा से चेक किया. एक मत रवि रतलामी को दिया दूसरा मत स्वीकार नहीं कर रहा है. एक्सप्लोरर बंद करके दोबारा चालू किया और मत देने की कोशिश की फिर भी नहीं हो रहा है. लगता है तकनीकि सुधार हो गया.
प्रमेन्द्र ने नारद पर ऐसा करने की बाद स्वीकारा था। ब्लॉगवाणी पर पसन्दगी के धोके पर ध्यान दिलाने पर संजय तिवारी की दूसरी टिप्पणी आते-आते मामला सुधर गया! गीकों ची कबड्डी चालू आहे !
बहुत ही बढ़िया व मजेदार पोस्ट बनी । मजा आ गया पढ़कर । पर ये सारी गुप्त बातें सबको तो नहीं बतानी थी । अब हम अपनी पीठ खुद कैसे ठोकेंगे ?
घुघूती बासूती
घोर आश्चर्य-ऐसा भी होता है?? 🙂
अब यह सिस्टम बंद हो जाना चाहिये. 🙂
”लेते नहीं अहसान किसी का हाथों पे भरोसा रखते हैं… जब बात हिट की आती है उठकर रिफ्रेश कर लेते हैं”
बड़े प्रेमभाव से मेरे नाम से ही की गई टिप्पणी के लिये शुक्रिया। बकिया ये “पंगेबाजी” तो करनी पड़ती है वरना अपना ब्लॉग कौन पढ़ता है! और यार कितनी बार समझाया, हिज्जों का ख्याल रखा करो, इसी बात से पकड़े जाते हो हर बार। 😉
Sanjay: ध्यान दें IE नहीं, फायरफॉक्स पर ही चलेगी ये तिकड़म!
blog vani badhiya hai