यह थप्पड़ उन्होंने:

  • उन पत्रकारों और संपादकों को क्यों नहीं मारा जिन्हें यह खबर और थप्पड़ की क्लिपिंग के डेड़ हजार लूप बनाकर आनन फानन तैयार की गई फुस्स रपट ब्रॉडकास्टनीय लगती है?
  • या उन नेताओं को क्यों नहीं मारा जो भारत रत्न के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और बेचारे वाजपेयी जी के जीवन भर के यश की कमाई पर बट्टा लगा रहे हैं?
  • या फिर टाईम्स आफ ईंडिया के उन खेल संपादकों को क्यों नहीं मारा जिन्हें खेल पन्ने पर टेनिस खिलाड़ियों के चड्डी दर्शना चित्र और फुटबाल खिलाड़ियों के उनकी प्रेमिकाओं के सेक्स संबंधों की चटखारेदार खबर छापे बिना तनख्वाह नहीं दी जाती?