कौन बनेगा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर?
रवि à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ की इस हालिया पोसà¥à¤Ÿ पर à¤à¤• चिटà¥à¤ ाकार रचना की तलà¥à¤– टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ आई।
आप कि ये पोसà¥à¤Ÿ पढ़ कर सिरà¥à¤« ये समठआया कि जो नये बà¥à¤²à¥‰à¤—र आये है आप सब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वरिषà¥à¤ बà¥à¤²à¥‹à¤—à¥à¤—ेरà¥à¤¸ के बीच वह केवल कà¥à¤¡à¤¾ कबाड़ लिख रहें हैं, इसलिये उनको ना पढा जयाà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की जो बà¥à¤²à¥‰à¤—र à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ खाता बना लेगे वह कà¤à¥€ नये बà¥à¤²à¥‰à¤—र को नहीं पà¥à¥‡à¤—े या पढ़ सकेगे। फिर वरिषà¥à¤ बà¥à¤²à¥‰à¤—र समाज ये कà¥à¤¯à¥‹ कहता है कि हम Hindi को बढावा दे रहें हैं या हम नये बà¥à¤²à¥‰à¤—र का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करते हैं। और कà¥à¤¡à¤¾ कबाड़ का फैसला करना किस पंच का अधिकार है? कà¥à¤¯à¤¾ वाद विवाद करना कà¥à¤¡à¤¾ कबाड़ मे आता है? या कà¥à¤¡à¤¾ कबाड़ वह हैं जो हमे पसंद नहीं होता है।
रचना, आप à¤à¤²à¥‡ इस पोसà¥à¤Ÿ को नये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ बà¥à¤²à¥‰à¤—र के घिसे पिटे तरà¥à¤• में घसीट कर अपनी बात कह रही हैं मैंने इस पोसà¥à¤Ÿ को उसके आशय से जोड़ कर पà¥à¤¨à¥‡ की ही कोशिश की। रवि तकनीक के जानकार हैं और यह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दो सींग पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ नहीं करता जिस के बल पर आप बà¥à¤²à¥‰à¤— में à¤à¥€ पृथकतावाद रोंपने और पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ बà¥à¤²à¥‰à¤—रों को पानी पी पी कर कोसने लगें। उनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ रहता है इंटरनेट के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को सà¥à¤à¤¾à¤µ देना, नेट पर अपने काम को सरल बनाने के लिये, और यही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस पोसà¥à¤Ÿ में à¤à¥€ किया है। अगर बात समठनहीं आई तो आगे पà¥à¤¨à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ होगा।
इस बात से आà¤à¤–ें मूंद लेने से कà¥à¤¯à¤¾ यह असतà¥à¤¯ हो जायेगा कि हिनà¥à¤¦à¥€ बà¥à¤²à¥‰à¤—ों को पà¥à¤¨à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ दà¥à¤¶à¥à¤•र होता जा रहा है? पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤•ाशित पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ के लिहाज़ से शायद कà¥à¤› महीनों में किसी मानव के लिये तो संà¤à¤µ न हो पायेगा सारे पोसà¥à¤Ÿ पॠकर टिपिया à¤à¥€ ले, à¤à¤¸à¥‡ में फिलà¥à¤Ÿà¤° कर अपने काम की पोसà¥à¤Ÿ निकालना ही होगी और कोई तंतà¥à¤°à¤¾à¤‚श ही ये मदद दे सकता है। जो पोसà¥à¤Ÿ आप नहीं पॠपा रहे वो कचरा ही तो है, पर ये कचरा कà¥à¤¯à¤¾ हो ये हर पाठक की निजी पसंद नापसंद पर तय होगी। साहितà¥à¤¯ में रà¥à¤šà¤¿ रखने वाले कथा, कहानियाà¤, कवितायें बाà¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहेंगे, मेरे जैसे तकनीक और समाचार विचार से जà¥à¥œà¥‡ विषय छाà¤à¤Ÿ कर पà¥à¤¨à¤¾ चाहेंगे, आप कà¥à¤› और। जो आपके लिये कचरा पोसà¥à¤Ÿ हैं, मेरे काम की हो सकती है। इस बात पर राई का पहाड़ बनाने की कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤• है?
पिछले दिनों चिटà¥à¤ ाकार पतà¥à¤°à¤¸à¥‚ची में कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• चरà¥à¤šà¤¾ के उपरांत ही चिटà¥à¤ ाजगत ने à¤à¤¾à¤°à¥€ बदलाव कर पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤—ीकरण कर अपना मà¥à¤–पृषà¥à¤ ही बदल डाला। करीब दो माह पहले ही मैंने नारद की फीड अपने गूगल रीडर खाते से हटा दी थी, हर घंटे दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ पोसà¥à¤Ÿ पà¥à¤¨à¥‡ का धैरà¥à¤¯ अब मà¥à¤ में नहीं रहा और ईमानदारी की बात है कि इतने पोसà¥à¤Ÿ पà¥à¤¨à¤¾ समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ नहीं, कà¥à¤› और काम धाम न हो तो शरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ ये किया जा सकता था। तब से मैंने अपने पà¥à¤¨à¥‡ का तरीका बदला और अब चिटà¥à¤ ाजगत या नारद के मà¥à¤–पृषà¥à¤ पर दिन में à¤à¤•ाध बार घूम लिया करता था, शीरà¥à¤·à¤• या अंश देख कर जो जमें वो पोसà¥à¤Ÿ ही पूरी पà¥à¤¤à¤¾à¥¤ पर चिटà¥à¤ ाजगत ने इसमें à¤à¤• कà¥à¤²à¤¿à¤• खामखà¥à¤µà¤¾à¤¹ बà¥à¤¾ दिया। जाहिर तौर पर मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ अब बà¥à¤²à¥‰à¤—वाणी या नारद का सरल मà¥à¤–पृषà¥à¤ à¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगा है।
मैं चिटà¥à¤ ाजगत में पोसà¥à¤Ÿ के वरà¥à¤—ीकरण की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ को खराब नहीं कहूंगा, पर ये तà¤à¥€ बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ काम करेगी जब काफी संखà¥à¤¯à¤¾ में पाठक इस काम में मदद करें और विकीपीडीया जैसे उदाहरणों से पता चलता है कि कलेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤µ विज़डम हमेशा सटीक नहीं होता। चिटà¥à¤ ाजगत को मैं तकनीकी रूप से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मानता ही रहा हूठपर इसमें सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के हिसाब से कà¥à¤› बदलाव à¤à¥€ होने चाहिये। चिटà¥à¤ ाजगत में अपनी पसंद के चिटà¥à¤ ों के ताज़ा पोसà¥à¤Ÿ देखने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है, जिसका ज़िकà¥à¤° रवि à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ ने à¤à¥€ किया, पर ये परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼à¥‡à¤¶à¤¨ के सà¥à¤¤à¤° तक तà¤à¥€ पहà¥à¤‚चेगा जब टेकà¥à¤¨à¥‹à¤°à¤¾à¤¤à¥€ की तरह लॉगà¥à¤¡ इन होने पर मà¥à¤–पृषà¥à¤ ही मेरा पृषà¥à¤ बन जावे। शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर बनने के लिये मेहनत काफी लगनी है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरी राय में मेरे à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर को मेरे बारे में काफी कà¥à¤› जानना होगा। मैं किस तरह के पोसà¥à¤Ÿ पर कà¥à¤²à¤¿à¤• करता हूठयह जानकार कà¥à¤¯à¤¾ ये बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मिलते जà¥à¤²à¤¤à¥‡ पोसà¥à¤Ÿ खोज नहीं ला सकता? पर यह तय करना इतना सरल à¤à¥€ नहीं है। ज़रूरी नहीं कि à¤à¤• ही बà¥à¤²à¤¾à¤— के हर पोसà¥à¤Ÿ मà¥à¤à¥‡ पसंद आयें, à¤à¤²à¥‡ वो टॉपीकल बà¥à¤²à¥‰à¤— हो। हमारी रीडिंग हैबिट बदलती रहती है और à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे ही ताड़ना ज़रूरी है। कà¥à¤› हद तक ये पोसà¥à¤Ÿ की टैग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संà¤à¤µ है, पर होशियार चिटà¥à¤ ाकार अगर कैटरीना कैफ के चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ वाली पोसà¥à¤Ÿ को ‘हरि सà¥à¤®à¤°à¤£’ टैग कर दें तो?
à¤à¤¸à¥‡ में तंतà¥à¤°à¤¾à¤‚श को फोकà¥à¤¸à¥‹à¤¨à¥‰à¤®à¥€ और सà¥à¤µà¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ टैग निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का मिला जà¥à¤²à¤¾ तरीका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना होगा। याहू अपनी à¤à¤¸à¥€ ही टरà¥à¤® à¤à¤•à¥à¤¸à¤Ÿà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤¶à¤¨ à¤à¤ªà¥€à¤†à¤ˆ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराती है, टैगà¥à¤¯à¥‚ की à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• सेवा शायद अब बंद है। तीन साल पहले मैंने इस पर पोसà¥à¤Ÿ लिखी थी और तब यह यूनीकोड के लिये काम न करता था, आज की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पता नहीं। कह नहीं सकता कि हर पोसà¥à¤Ÿ से टैग निकाल पाना कितना संà¤à¤µ उपाय है, Noise यानी अवाà¤à¤›à¤¿à¤¤ टैग को कई सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर हटाना होगा। जो à¤à¥€ हो, सà¥à¤µà¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ रूप से पोसà¥à¤Ÿ का सबब निकालना आसान ज़रूर हो जायेगा। इसके बाद पाठक के टैग-रीडिंग-पैटरà¥à¤¨ से उसकी पसंद या अटेंशन पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤ˆà¤² का पता लगाना शायद आसान हो जाये।
पाठक के अटेंशन पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤ˆà¤² से पोसà¥à¤Ÿ के कीवरà¥à¤¡ का मिलान कर पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को काफी हद तक सटीक रूप से फिलà¥à¤Ÿà¤° किया जा सकेगा। और पाठक के पृषà¥à¤Ÿ पर उसके मतलब की पोसà¥à¤Ÿ वैसे ही परोसी जा सकेंगी जैसे गूगल या अनà¥à¤¯ कंटेकà¥à¤¸à¤Ÿ सेंसिटिव विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ सेवायें आपके पृषà¥à¤ से कीवरà¥à¤¡ खोज कर उपयà¥à¤•à¥à¤¤ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ पेश करती हैं। इस तरह का à¤à¤• सà¥à¤ªà¥‡à¤¸à¥€à¤«à¤¿à¤•ेशन à¤.पी.à¤à¤®.à¤à¤² पहले से ही मौजूद है, इसे बà¥à¤²à¥‰à¤—लाईंस जैसे नà¥à¤¯à¥‚ज़रीडर अपनाने की à¤à¥€ सोच रहे हैं। à¤.पी.à¤à¤®.à¤à¤², ओ.पी.à¤à¤®.à¤à¤² की तरह ही à¤à¤• कà¥à¤·à¤®à¤² पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प है। ओ.पी.à¤à¤®.à¤à¤² से बà¥à¤²à¥‰à¤—रोल, यानी आपके पसंदीदा चिटà¥à¤ ों की सूची, बनाई जा सकती है। à¤.पी.à¤à¤®.à¤à¤² के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ देखे गये जाल पृषà¥à¤ ों, आपके टैग, मनपसंद विडियो, संगीत, कड़ियाà¤, आनलाईन शाà¤à¤ªà¤¿à¤‚ग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खरीदी वसà¥à¤¤à¥à¤“ं, फीड से पà¥à¥€ जा रही पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ आदि अनेक चीजों के आधार पर पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤ˆà¤² निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होगी जो आपकी पसंद नापसंद का परिचायक होगी। ओ.पी.à¤à¤®.à¤à¤² पर अधिक जानकारी के साथ निरंतर पर à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ लेख लिखने का निशà¥à¤šà¤¯ मैं कर चà¥à¤•ा हूं, याद दिलाईयेगा।
नारद, बà¥à¤²à¥‰à¤—वाणी या चिटà¥à¤ ाजगत में से जो à¤à¥€ ये सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पहले उपलबà¥à¤§ कराये, मेरी कंसलà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚सी फीस देना न à¤à¥‚लियेगा ;), मेरी अमेज़ान विशलिसà¥à¤Ÿ यहाठहै।
आपके सà¥à¤à¤¾à¤µ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ हैं. इन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना ही चाहिये.
आपने सही लिखा है कि तकनीकी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने का अरà¥à¤¥ यह कतई नहीं है कि किसी को सींग मिल गठहैं और वह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ होना बाकी है.
दीपक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¦à¥€à¤ª
सही बातें, महाराज..
good to have ur views
मेरे खà¥â€à¤¯à¤¾à¤² से यह à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ बहस है. सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में किताबों के करोड़ों पà¥à¤°à¤•ाशन होते हैं जो हर तरह के विषयों पर लिखी जाती हैं. कà¥â€à¤¯à¤¾ हमें सबके बारे में जानना होता है? नहीं. लेकिन किताबें पढ़ीं à¤à¥€ जाती हैं, खरीदी à¤à¥€ जाती हैं. चिटà¥à¤ ों के संकलक से आखिर कà¥â€à¤¯à¤¾ अपेकà¥à¤·à¤¾ की जा रही है? कà¥â€à¤¯à¤¾ लोग उनसे अपनी जगह चिटà¥à¤ े पढ़ने का काम à¤à¥€ कराना चाहते हैं? तकनीक के à¤à¤®à¥‡à¤²à¥‡ में जबरन चिटà¥à¤ ों को बहस का अखाड़ा बनाया जा रहा है. चिटà¥à¤ ाजगत का कà¥â€à¤²à¤¾à¤¸à¤¿à¤«à¤¿à¤•ेशन à¤à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— है. चल जाठतो और सà¥à¤§à¤¾à¤° होंगे. लेकिन इससे किसी को कà¥â€à¤¯à¤¾ नà¥à¤•सान है मैं नहीं समठपा रहा.
मेरी दूसरी तिपानी को याहं पर ना देकर आप ने केवल मारे विचारो का à¤à¤• ही पकà¥à¤· रखा है दूसरा मे दे रही हूà¤:
तकनीक की जानकारी जो रवि की पोसà¥à¤Ÿ मे दी गयी है वह बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ है और bilkul obselete है { मेरी नज़र}. पर किसी के लिखे को कचरा कहना उसके निज को अपमानित करना होता है. और इस पोसà¥à¤Ÿ की headline रवि कि अपनी नहीं है. इसके अलावा जब à¤à¤• संवाद à¤à¤• बà¥à¤²à¥‹à¤— पर chal रहा है तो उस पर नयी पोसà¥à¤Ÿ बनाना आप वरिशà¥à¤¦ बà¥à¤²à¥‹à¤—à¥à¤—ेरà¥à¤¸ की परिपाटी है लकिन जब कोई नया बà¥à¤²à¥‰à¤—र à¤à¤¸à¤¾ करता है तो आप सब इसे गलत सिदà¥à¤§ करते है और किसà¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ कमेनà¥à¤Ÿ का उलेख करने से पहले अगर आप दोनो पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¥€ से देखते तो सही होता। बà¥à¤²à¥‹à¤— पर गà¥à¤Ÿ बंदी करना सही नहीं है।
बस आप अà¤à¥€ से थक गये !!!!!!!!!!!! अà¤à¥€ तो Hindi बà¥à¤²à¥‹à¤—à¥à¤—िंग की शैशव अवसà¥à¤¥à¤¾ है। मेरा विचार है आप अपने बà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤œà¤° के फवोरितेस मे अपनी पसंद के बà¥à¤²à¥‹à¤— सेव कर ले जो आप के अपने हो, बाक़ी को हम सब “रचना, आप à¤à¤²à¥‡ इस पोसà¥à¤Ÿ को नये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ बà¥à¤²à¥‰à¤—र के घिसे पिटे तरà¥à¤• में घसीट कर अपनी बात कह रही हैं ” घिसे पिटे तरà¥à¤• वाले लोगे के लिये रहने दे ।
देबूदा, नमसà¥à¤•ार, सही फरमाया आपने पर कà¥à¤¯à¤¾ किसी के à¤à¥€ चिटà¥à¤ े को कूड़ा-कबाड़ कहना अचà¥à¤›à¤¾ है। और रही बात पढ़ने की तो लोग अपनी रूचिनà¥à¤¸à¤¾à¤° लेखों का चयन कर पढ़ ही रहे हैं। सच बात है कि सà¤à¥€ लेखों को पढ़ना आसान नहीं है यह सब जानते हैं फिर अपने मनपसंद लेखों और चिटà¥à¤ ाकारों को ही पढ़ा जाठया लोग पढ़ते ही हैं तो फिर इसके लिठनगाड़ा पीटने की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता है।
लेखक सà¤à¥€ नहीं हो सकते पर ले-खक सà¤à¥€ हो सकते हैं। तो ले-खक को लेखक बनाना चिटà¥à¤ ाकारिता का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ होना चाहिठइसके लिठयह आवशà¥à¤¯à¤• है कि बीच-बीच में किसी चिटà¥à¤ ाकार के सà¤à¥€ नहीं तो कम से कम पचà¥à¤šà¥€à¤¸ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ लेखों को पढ़कर उसकी अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ-बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ से ले-खक को अवगत कराया जाठताकि वह लेखक की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो सके। किसी à¤à¥€ बड़े-बड़े लेखकों को देखें उनकी बहà¥à¤¤ सारी रचनाओं में से कà¥à¤› ने ही उनà¥à¤¹à¥‡ लेखक का दरà¥à¤œà¤¾ दिलवाया। देबूदा कम से कम मेरी दस रचनाओं में से à¤à¤• तो पढ़ लिया कीजिà¤à¥¤ अगà¥à¤°à¤¿à¤® धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देबू à¤à¤¾à¤ˆ, आपने मेरे विचारों को पूरी तरह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दिया. साथ ही à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटरों को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठरूप धरने में बहà¥à¤¤ सी राहें सà¥à¤à¤¾ दीं. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कंसलà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚सी फ़ीस देना ही चाहिà¤. 🙂
सतà¥à¤¯ वचन.
पà¥à¤¨à¥‡ के लिये सà¤à¥€ का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾!
रचनाः आपकी टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ मेरे सà¥à¤ªà¥ˆà¤® फिलà¥à¤Ÿà¤° में फंसी रह गई जिसे आज निकाला है। आपकी पूरी टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ पà¥à¤°à¤•ाशित करने का मेरा कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ नहीं था, अपने ही बà¥à¤²à¥‰à¤— पर कà¥à¤¯à¤¾ और कितना लिखना या उदà¥à¤§à¤¤ करना है इतनी छूट तो मà¥à¤à¥‡ दें। आपकी बात को तोड़ा मरोड़ा नहीं गया इतना आपने पाया होगा।
मà¥à¤à¥‡ लगता है आपको इंटरनेट तकनीक पर और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हासिल करना चाहिये ताकि रवि के सà¥à¤à¤¾à¤µ को obselete और 80 के दशक की बà¥à¤•मारà¥à¤•िंग तकनीक को modern समà¤à¤¨à¥‡ की गलतफहमी दूर हो।
बता दूं कि मैं किसी à¤à¥€ गà¥à¤Ÿ में शामिल नहीं हूठऔर ना ही गैर तकनीकी व तकनीकविदà¥à¤¦, या नये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ या लेफà¥à¤Ÿ या राईटविंग वाले खेमेवाद में पड़ता हूà¤à¥¤ यहाठà¤à¥€ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ à¤à¤• तकनीकी सà¥à¤à¤¾à¤µ देने का था, सो किया। मैं 2002 से बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग में हूठरचना और जितने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ चिटà¥à¤ े पà¥à¤¤à¤¾ रहा हूठउतने तो हिनà¥à¤¦à¥€ में कà¥à¤² जमा अचà¥à¤›à¥‡ चिटà¥à¤ े तक नहीं हैं। तो मैं थका नहीं हूà¤, पर मैं समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से पà¥à¤¨à¥‡ में à¤à¥€ यकीन रखता हूà¤, और इसी तरह के सोच वालों ने à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटरà¥à¤¸ बनाये और इसकी तकनीक में सà¥à¤§à¤¾à¤° लाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे हैं। हर कोई अचà¥à¤›à¥‡ चिटà¥à¤ े पà¥à¤¨à¤¾ चाहता है और यह उसी काम को तकनीकी रूप से आसान बनाने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ है।
चà¥à¤‚कि आप अधिकाधिक चिटà¥à¤ े पà¥à¤¨à¤¾ चाहती हैं तो आपको à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटरà¥à¤¸ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— तो अवशà¥à¤¯ सीखना चाहिये। बà¥à¤•मारà¥à¤•िंग कर, हर बà¥à¤²à¥‰à¤— पर जाकर पà¥à¤¨à¤¾ न समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है और न ही efficient।
पà¥à¤°à¤à¤¾à¤•रः मैं तो चिटà¥à¤ े का शीरà¥à¤·à¤• और मजमून देख कर पà¥à¤¤à¤¾ हूठतो कोई चिटà¥à¤ ा मेरी रà¥à¤šà¤¿ का हो और समय मयसà¥à¤¸à¤° हो तो छूटेगा नहीं। आपका चिटà¥à¤ ा पà¥à¤¤à¤¾ रहता हूà¤à¥¤ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करने में संकोच होता है पर कà¤à¥€ कà¤à¤¾à¤° साहस जà¥à¤Ÿà¤¾ लेता हूà¤à¥¤
संजयः हर चीज़ में समय के साथ सà¥à¤§à¤¾à¤° तो लाना ही चाहिये। चिटà¥à¤ ाजगत के साथ साथ अनà¥à¤¯ à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटरà¥à¤¸ को à¤à¥€ ये फोकट का सà¥à¤à¤¾à¤µ मैंने दिया यह सोचकर कि वे और उनà¥à¤¨à¤¤ हों, सिरà¥à¤« मीन मेख निकालना तो उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ नहीं था।
चिटà¥à¤ ों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ में पठनीय पोसà¥à¤Ÿ का चयन करने में à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर तकनीकों के माधà¥à¤¯à¤® से जिस हद तक पाठकों की मदद कर सके, सराहनीय और सà¥à¤µà¤¾à¤—तयोगà¥à¤¯ है।
यदि कोई à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर अलग-अलग पाठकों की अà¤à¤¿à¤°à¥à¤šà¤¿ का टà¥à¤°à¥ˆà¤• रखते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ तरीके से संबंधित विषय पर उपलबà¥à¤§ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤• साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर सके, तो सोने में सà¥à¤—ंध जैसी बात होगी। बीबीसी हिनà¥à¤¦à¥€ और वेबदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की साइट पर इस तरह की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पहले से है।
à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटरों की तकनीक में बेहतरी के बारे में आपके दूरदरà¥à¤¶à¥€ सà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ पर अमल करने की पहल करने वाला à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर सिदà¥à¤§ होगा।
अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आजादी सà¤à¥€ को है, अब ये बात किसी को अचà¥à¤›à¥€ ना लगे तो कम से कम दà¥à¤¸à¤°à¥‹ के लिखे पर (जो कि निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से परसेवाहिताय लिखा गया हो), विवाद खडा करना उचित नही है! à¤à¤µà¤‚ विशेषकर अगर लेख तकनीकी हो तो तकनीक पर आधारित खामियॉ निकालें ना कि शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर आधारित विवाद।
मेरी उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ में “बीबीसी हिनà¥à¤¦à¥€ और वेबदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की साइट पर इस तरह की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पहले से है” के संदरà¥à¤ में यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर देना जरूरी है कि उन साइटों में अलग-अलग पाठकों की अà¤à¤¿à¤°à¥à¤šà¤¿ का टà¥à¤°à¥ˆà¤• रखते हà¥à¤ लेख पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ नहीं किये जाते। लेकिन जिस विषय पर आप कोई लेख पढ़ रहे हों, उनसे संबंधित अनà¥à¤¯ लेखों के लिंक à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤: उसी पृषà¥à¤ पर आ जाते हैं। पाठकों के लिठयह à¤à¤• बड़ी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है, पूरे मामले को समà¤à¤¨à¥‡ के लिà¤, पिछले संदरà¥à¤à¥‹à¤‚ से परिचित होने के लिà¤, किसी परिघटना के विकास-कà¥à¤°à¤® को जानने के लिà¤à¥¤
कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤—ेटर यह कर सकते हैं कि किसी विषय विशेष से संबंधित विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ बà¥à¤²à¥‰à¤—ों पर आई सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता और उनके पà¥à¤°à¤•ाशन की तारीख के कà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर सकें?
कà¥à¤› समà¤à¥‡ , कà¥à¤› नहीं समà¤à¥‡ । हम हैं तकनीकी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ । देबूà¤à¤¾à¤ˆ इसे अचà¥à¤›à¥€ तरह जानते हैं।
देबूà¤à¤¾à¤ˆ के संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ और समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¥‡ लेखन को सराहते हैं हम।