गोविंदा ने किसी को सरेआम थप्पड़ मारा, पर…
यह थप्पड़ उन्होंने:
- उन पत्रकारों और संपादकों को क्यों नहीं मारा जिन्हें यह खबर और थप्पड़ की क्लिपिंग के डेड़ हजार लूप बनाकर आनन फानन तैयार की गई फुस्स रपट ब्रॉडकास्टनीय लगती है?
- या उन नेताओं को क्यों नहीं मारा जो भारत रत्न के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और बेचारे वाजपेयी जी के जीवन भर के यश की कमाई पर बट्टा लगा रहे हैं?
- या फिर टाईम्स आफ ईंडिया के उन खेल संपादकों को क्यों नहीं मारा जिन्हें खेल पन्ने पर टेनिस खिलाड़ियों के चड्डी दर्शना चित्र और फुटबाल खिलाड़ियों के उनकी प्रेमिकाओं के सेक्स संबंधों की चटखारेदार खबर छापे बिना तनख्वाह नहीं दी जाती?
डैस्क पर काम करते वक्त एक उपसंपादक की कई सीमाएं होती हैं. मसलन् तस्वीरों के मामले को ही लें. तस्वीरें लगना लाजिमी हैं. टेनिस खेलने वाली कन्याओं के वस्त्र बहुत छोटे होते हैं इस कारण जब वे एक्शन में होती हैं तो उनके अधोवस्त्र भी अक्सर नजर आ जाते हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई खेल के पन्नों पर चड्डी देखने की उम्मीद से जाता है. ऑस्ट्रेलियन ओपन की सारी तस्वीरें एपी, एएफफपी, डीपीए या रायटर्स जैसी विदेशी एजेंसियों से आती हैं. अब यहां डैस्क पर बैठे एक उप संपादक को उन्हीं में से चुनना होता है जो एजेंसी से भेजा जाता है. मैने खेल डैस्क पर संपादक की हैसियत से काफी समय काम किया है और तक किया जब इंटरनैट का अस्तित्व भी नहीं था. तस्वीरें तक भी छापना पड़ती थीं. पिछले फुटबॉल विश्वकप के दौरान दर्शकदीर्घा में मौजूद सैक्सी कपड़ों में सजी धजी लड़कियों की तस्वीरें नहीं छापने के कारण अखबार के दफ्तर में फोन आते थे लोगों ने मांग की. ब्राजील की टीम के मैचों के दौरान दर्शक दीर्घा में सांबा डांसर्स और कार्निवाल के दौरान परेड में पहने जाने वाले कपड़ों में सजी लड़कियों की अर्द्धनग्न तस्वीरें छापने के लिए जितनी तगड़ी पब्लिक डिमांड होती है, उसकी पुष्टि आप किसी भी खेल डैस्क के संपादकों से कर सकते हैं. मैंने टाइम्स ऑव इंडिया के दफ्तर में कभी काम नहीं किया लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरे जैसे सैकड़ों संपादक यह तस्दीक कर देंगे कि खेल के पेजों पर अश्लीलता को कोई प्रश्रय नहीं देता. सबका फोकस खेलों पर ही होता है. खेल का ग्लैमर अपने आप में बहुत है जनाब. कृपया टाइम्स ऑव इंडिया को सबका प्रतिनिधि नहीं मानें. मेरी बात आपकी टिप्पणी से अलग दिख रही है लेकिन जो आरोप आप टाइम्स पर लगा रहे हैं, वह प्रकारांतर से सभी करते हैं इसलिए सोचा कि मैं भी कुछ कहूं. तथापि आपकी टिप्प्णी से सहमत हूं.