क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?

शुरुआती ईवी के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।

कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।

क्या आपके प्रॉविडेंट फंड का पैसा आपको मिले पायेगा?

हम अपने खून पसीने की कमाई सरकार पर भरोसा कर उनके पास जमा रखते हैं ताकि हमारे जीवन की संध्या बेफिक्र बीते पर ये राशि ज़रूरत पड़ने पर हमें मिले ही नहीं तो क्या होगा? फालतू कारणों से दावों को खारिज होना चिंताजनक है।

Jayshree

कोउ नृप होउ

हम सोचते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ नेता और राजनीति है, इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह हैं। सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह नहीं बदलते।

सौहार्दपूर्ण उदासीन आश्चर्य

गूगल के अनुवादक की कृपा से आज यह मजेदार ईमेल मिली (मूल ईमेल के कुछ हिस्से छुपा दिये गये हैं)

1000वीं चिट्ठा चर्चा पर एक लेटलतीफी पोस्ट

10 नवंबर 2009 को हिन्दी ब्लॉग जगत के सार्वजनिक उपक्रम चिट्ठा चर्चा ने अपनी एक हजारवीं पोस्ट छापी। लेखों के बाढ़ से अपनी रुचि या काम की जानकारी पाने के लिये चिट्ठा चर्चा जैसे मंचों की ज़रूरत हमेशा बनी रहेगी। देखना यह है कि क्या समय के अनुरूप ये अपने को ढाल कर सफलता के नये परचम लहराते हैं या फिर यही कलेवर बनाये रख अपनी लोकप्रियता और उपयोगिता को बरकरार रख पाते हैं।

सामयिकी चिट्ठा वार्षिकी सर्वेक्षण 2008

सामयिकी जालपत्रिका ने चिट्ठा वार्षिकी 2008 हेतु एक सर्वेक्षण का आयोजन किया है। सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर सामयिकी पर “चिट्ठा वार्षिकी 2008″ श्रृंखला के अंतर्गत रपट इस माह प्रकाशित होगी। इस सर्वेक्षण के द्वारा हम हिन्दी चिट्ठामंडल के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग पोस्ट और ब्लॉगरों की भी घोषणा करेंगे। सभी हिन्दी ब्लॉगरों से इस […]

ज़रा फिर से कहना

”क्रोम” का बीटा संस्करण कम्प्यूटर व्यावसाय जगत में माइक्रोसॉफ्ट के प्रभुत्व में इज़ाफ़ा करेगा। गूगल के नये ब्राउज़र क्रोम पर बीबीसी हिन्दी की विशेष टिप्पणी। जी दुरस्त फ़रमाया! इससे अच्छा तो मैं जर्मन भाषा में लिखे ब्लॉग को हिन्दी में पढ़ लूं। सुंदर, मैं अनदेखी चिकनी 🙂 पुनश्चः अनुनाद ने ध्यान दिलाया। लगता है बीबीसी […]