अ मिलियन पैंग्विंस

कोलैबोरेटिव, विज़्डम आफ क्राउड्स, सोशियल नेटवर्किंग। सब सुने शब्द हैं न? आजकल तो इन्हीं शब्दों का अंतर्जाल पर बोलबाला है और इसमें एक नया अध्याय जुड़ रहा है। मशहूर प्रकाशक पेंग्विन ने इसी भावना से एक विकीनोवल का विचार प्रस्तुत किया है, अ मिलियन पैंग्विंस में जिसमें विकी के द्वारा उपन्यास लिखें जायेंगे। हालांकि ऐसे […]

अब इंटरनेट ही आपका बुद्धु बक्सा भी

भारतीय अर्थव्यवस्था उबाल पर है और फील गुड फैक्टर राजनैतिक विज्ञापनों से निकल हमारे जीवन में ही क्या इंटरनेट पर भी उतर चुकी है, वह भी वेब २ उन्माद की छौंक के साथ। यूट्यूब का देसी संस्करण बनने के इच्छुक तेरा विडियो, तुम ट्यूब और मेरा विडियो के बाद अब बारी है हाल ही में […]

सुन सुना

इस चिट्ठे के नियमित पाठक रेडियो जॉकी बनने की मेरी छुपी अभिलाषा के बारे में पढ़ चुके होंगे, और यह भी कि कैसे मैं अवसर मिलने पर भी यह पूर्ण न कर सका। पर हाल के दिनों में दो ऐसे अवसर मिले जब मुझे श्रव्य माध्यमों पर बोलने का मौका मिला। पहला मौका था रेडियो […]

हिन्दी समाचार स्थलों से ताज़ा सुर्खियाँ

अंतर्जाल पर हिन्दी सामग्री की बात हो तो समाचारों स्थलों का हिन्दी में होना भी वाजिब बात थी। कुछ समय पहले तक दैनिक भास्कर, नवभारत टाईम्स जैसे अखबारों के जालस्थल यूनीकोडित न होने की वजह से इन्हें एग्रीगेट कर पाना मुश्किल काम था। दिसंबर में कड़ी अन्वेषी अनुनाद ने सूचना दी थी कि मेधास के […]

अहा ज़िंदगी का ईअंक

शायद आप ये पहले से ही जानते हों, पर मुझे तो आज ही यह पता चला कि दैनिक भास्कर समूह की लोकप्रिय पत्रिका “अहा ज़िंदगी” के हिन्दी व गुजराती अंक जाल पर मुफ्त में उपलब्ध है। पढ़ने के लिये यहाँ जायें, बस एक बार पंजीकरण करना होगा। समूह के और प्रकाशन भी आप यहाँ पढ़ […]

विकीपीडिया: वेंडेलिस्म पर लानत

विकीपिडिया एक विशाल मानव निर्मित ज्ञानकोश है, हालांकि हिन्दी विकीपीडिया अभी तुलनात्मक रूप से काफी छोटा है। जब मितुल ने निरंतर के अगस्त अंक में विकीपीडिया पर लेख लिखा तो मेरे मन में यह प्रश्न ज़रूर था कि वेंडेलिस्म यानि विकिपीडिया के पृष्ठों पर सामग्री या तथ्यों को नष्ट या बिगाड़ देने के कार्य पर […]

रीव्यूमी: क्या यह व्यावसायिक चिट्ठाकारिता है?

भारतीय काफी छिद्रान्वेशी होते ही हैं॥ हर सेवा, हर चीज़ पर नाकभौं सिकोड़ना, हर बात में नुक्स निकालना और यहाँ तक की अपने ब्लॉग का नाम और विषय भी नुक्ताचीनी रख लेना। पर और अगर यह सब करने के लिये पैसे भी मिलने लगे तो? “स्वपोषित ब्लॉगविधा” या “व्यावसायिक चिट्ठाकारिता” के समर्थक मेरे कई ब्लॉग […]

निरंतर पत्रिका की फीड

निरंतर पत्रिका की भी अब क्षमल फीड उपलब्ध है। आप इसे http://feeds.feedburner.com/nirantar के पते से पढ़ सकेंगे। फीड में पूरे लेख देना तो संभव नहीं पर हाँ नये आलेखों की सूचना पाने के लिये यह उत्तम माध्यम होगा। अवश्य सब्सक्राईब करें।

नारद की अनुपस्थिती और अस्थाई जुगाड़

नारद के अस्थाई रूप से बंद होने से हम सभी को ब्लॉक्सीज़न मिलनी बंद हो गई है। ठीक है चिट्ठा विश्व भी है पर यह ब्लॉगडिग्गर की कृपा पर निर्भर रहता है और ब्लॉगडिग्गर महाशय आजकल मनमर्जी से अपडेट होते हैं। आज टेक्नोराती के भ्रमण के दौरान अपने राम को सूझी कि क्यों न उसके […]

पहला भारतीय ब्लॉगकैम्पः संतोषजनक शुरुवात

भारत की कथित ब्लॉग राजधानी में काफी हलचल है, जी नहीं राजनैतिक सरगर्मी नहीं, भारत के सबसे बड़े अनकाँफ्रेस के रूप में प्रचारित पहले ब्लॉगकैंप का ज़िक्र कर रहा हूँ। यह दो दिवसीय विहंगम आयोजन, जिसमें सुलेखा की खासी भादीगारी है, चैन्नई में इस सप्ताहांत हो रहा है, अनेकानेक लोगों की भागीदारी है और विविध […]

गलतियों का दौर

आलोक और पंकज ने पहले पहल देखा पर गूगल के हिन्दी विज्ञापन अब यूएफओ के दिखने जैसे विरले नहीं रहे, अक्सर दिख जाते हैं आजकल। देसीपंडित पर आज यह विज्ञापन देखा तो पता लगा कि गूगल वाले हिन्दी मसौदे के इश्तेहार स्वीकारने तो लगे हैं पर किसी तरह की कोई परख नहीं होती। हिज्जों की […]

तीर निशाने पर

बेंगाणी बंधुओं की मेहनत रंग लाई है और तरकश नये नवेले स्वरूप में समूह बलॉग के रूप में प्रस्तुत किया गया है। तरकश का नया रूप और कलेवर मनोहारी है, छवि की टीम है ही होनहार कलाकारों का जमावड़ा। तरकश में पंकज, संजय और रवि जैसे पुराने खिलाड़ी तो हैं ही, ब्लॉगिंग के बाण साधने […]

तकनीकी विषयों को विशेष महत्व मिलेः सुनील

निरंतर काउंटडाउन भाग 6 देबाशीष ने मुझसे पूछा कि मैं निरंतर का किस तरह का हिस्सा बनना चाहूँगा, इसका उत्तर तो केवल यही हो सकता है कि मैं सबसे अच्छा हिस्सा होना चाहूँगा। लेकिन शायद अच्छा हिस्सा होने के लिए, काम कुछ अधिक करना पड़ सकता है, इसलिए अगर सबसे बढ़िया हिस्सा न भी बन […]

निरंतर में पाठकों की पूरी हिस्सेदारी हो: प्रत्यक्षा

निरंतर काउंटडाउन भाग ५ जब चिट्ठाकारी शुरु की लगभग उसी समय निरंतर से भी परिचय हुआ। पहली बार पढकर बहुत आनंद आया। इसलिये कि एक तो पढने का कुछ और मसाला मिला और दूसरे इसलिये कि ये पत्रिका कुछ अलग किस्म की लगी थी। अन्य जाल पत्रिकाओं से अलग इस मायने में थी कि कहानी […]

‘निरंतर’ हिंदी चिट्ठाकारों के सरोकार की आवाज़: ईस्वामी

निरंतर काउंटडाउन भाग 4 निरंतर को इसके प्रारंभ से ही लेखन और प्रकाशन की एकाधिक विधाओं की वर्णसंकरी (हाईब्रीड) के रूप मे देखता रहा हूँ। इन्टरनेट पर होते हुए भी माह में एक ही बार ‘टपकती’ निरंतर इलेक्टॉनिक माध्यम वाली द्रुत अविरलता से नहीं बहती। वहीं हर अंक के प्रकाशन से ही द्वीदिशी संवाद के […]

पूछिए फुरसत से, फुरसतिया से

निरंतर काउंटडाउन भाग ३ नामचीन हिंदी अखबार देशबंधु में मंझे साहित्यकार और चिंतक हरिशंकर परसाई का एक कॉलम छपता था “पूछिए परसाई से” जिसमें वे पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते थे। तमाम किस्म के प्रश्न, राजनीति, इतिहास, समकालीन परिदृश्य, साहित्य पर जिनमें कुछ चुटीले सवाल भी शामिल होते थे। निरंतर के पहले अवतार में […]

विज़डम आफ क्राउड्स महज़ किताबी बात नही

निरंतर काउंटडाउन भाग 2 बिल्कुल यही वजह है कि निरंतर, सिर्फ एक मैगैज़ीन नहीं, ब्लॉगज़ीन है। निरंतर के लेखों में सिर्फ संपादक मंडल की ही नही, इसके लेखकों की ही नही वरन् आपकी राय भी सम्मिलित होनी चाहिए। इसी कड़ी में निरंतर के अगस्त अंक में प्रारंभ किया जा रहा है एक नया स्तंभ “जनमंच“। […]