ख़त्म हुये फितूर?

पिछले कई दिनों से कई किस्म के फितूर सवार रहे हैं और अब थोड़ी राहत मिली कि इनमें से कुछ फलीभूत भी हुये हैं। पहला फितूर तो पॉडकास्टिंग का ही था, चलो रेडियो न सही यहीं हाथ आजमा लिया जाय ये सोच कर शशि के साथ पिछले पखवाड़े पॉडभारती हिन्दी पॉडज़ीन की शुरुवात की गई। […]

निरंतर पत्रिका के पुराने अंक नष्ट

Update: Thanks to Web Archives all lost issues of Nirantar have now been restored and are available at http://www.nirantar.org. मेरी मूर्खता की वजह से निरंतर पत्रिका के अक्षरग्राम पर रखे पुराने अंक पूर्णतः नष्ट हो चुके हैं और हमारे पास पुराने अंकों का कोई भी बैकअप उपलब्ध नहीं है। ये शायद मेरे जीवन का सबसे […]

गया गया गया

नेटभ्रमण के दौरान आज भाषा प्रयोग के विषय में कुछ मज़ेदार बातें पता चली, शायद आपको पता हो। “होमोनिम्स” ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण और हिज्जे समान हों पर अर्थ अलाहदा होते हों। अंग्रेज़ी में तो ऐसे शब्दों की भरमार है जैसे कि bank जो कि नदी के किनारे, बिजली के स्विच की कतार […]

एप्रिल फूल बनाया, बड़ा मज़ा आया

शनिवार शाम को अचनक सूझी कि पहली अप्रेल का कुछ मज़ा क्यों न लिया जाय। शशि को फोन लगाया और आइडिया बताया कि क्यों न एनडीटीवी से जुड़े अनुमानों को ही सच कर दिखाया जाय। तय हुआ कि फर्ज़ी साईट मैं बना लुंगा और मसौदा शशि भेज देंगे। रात को शशि की मेल न दिखी […]

गूगल टीआईएसपी: ब्रॉडबैंड दा बाप

स्पष्टिकरणः यह समूची पोस्ट अप्रेल फूल बनाने के लिये लिखी मजाकिया पोस्ट है, इसमें कही बातें सरासर गप्प हैं और केवल मजे लेने के लिये ही लिखी गई हैं। इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडर्स की मनमानी और औनेपौने दामों का आखिरकार जोरदार तोड़ आ ही गया है और वो भी गूगल के द्वारा। गूगल ने आज टीआईएसपी […]

साइबर मुहल्ला से जाहिर एनडीटीवी का छुपा अजेंडा

स्पष्टिकरणः यह समूची पोस्ट अप्रेल फूल बनाने के लिये लिखी मजाकिया पोस्ट है, इसमें कही बातें सरासर गप्प हैं और केवल मजे लेने के लिये ही लिखी गई हैं। पाठकों को याद होगा कि चिट्ठा चर्चा में मेरे लगाये कयास पर एनडीटीवी के अविनाश ने टिप्पणी की थी के ये केवल उनका व उनके सहयोगियों […]

मटर विथ मेघा

इस साल की इंडीब्लॉगीज़ स्पर्धा के समापन पर जानेमाने अंग्रेज़ी चिट्ठाकार अमित वर्मा ने मुझे मज़ाक में लिखा था, “ये प्रतियोगिता एक बंगाली द्वारा आयोजित है, पिछली दफा इसे एक आधे बंगाली ने जीता (अमित की माताजी बंगाली हैं) और इस साल एक पूरे बंगाली ने। तो अगले साल क्या होने वाला है?” आप भी […]

अमेरिका में चलेगी गाँधीगिरी?

इराक से हिसाब बराबर करने के बुश के तरीकों, जिसमें अमेरीकी पैसा और खून दोनों ही बहाये गये, को भले लोग कोसें, अमेरीकी सिनेटर और अमेरीकी राष्ट्रपति पद के संभावित रिपब्लिकन प्रत्याशी और अभिनेता फ्रेड थॉम्पसन मानते हैं कि गाँधीवाद अमेरिका के लिये कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने हाल ही में वक्तव्य दियाः “द्वितीय विश्वयुद्ध […]