सप्ताह 31 के स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह

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पूछिए फुरसत से, फुरसतिया से

निरंतर काउंटडाउन भाग ३ नामचीन हिंदी अखबार देशबंधु में मंझे साहित्यकार और चिंतक हरिशंकर परसाई का एक कॉलम छपता था “पूछिए परसाई से” जिसमें वे पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते थे। तमाम किस्म के प्रश्न, राजनीति, इतिहास, समकालीन परिदृश्य, साहित्य पर जिनमें कुछ चुटीले सवाल भी शामिल होते थे। निरंतर के पहले अवतार में […]

७५ लाख पाठक हैं भारतीय भाषाओं की साईट्स के

हालिया इंडिया आनलाईन सर्वे २००६ ब्लॉगजगत के लिये उम्मीदों भरे निष्कर्ष ले कर आई है। इस सर्वे के मुताबिक भारत में तकरीबन २.१ करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ता हैं और इनमें से ८५ फीसदी, यानि लगभग १.८ करोड़ ब्लॉग पढ़ते हैं, जिनमें ऐसे लोग भी है जो स्वयं ब्लॉगिंग नहीं करते। आंकड़ें अविश्वनीय लगते हैं पर अगर […]

विज़डम आफ क्राउड्स महज़ किताबी बात नही

निरंतर काउंटडाउन भाग 2 बिल्कुल यही वजह है कि निरंतर, सिर्फ एक मैगैज़ीन नहीं, ब्लॉगज़ीन है। निरंतर के लेखों में सिर्फ संपादक मंडल की ही नही, इसके लेखकों की ही नही वरन् आपकी राय भी सम्मिलित होनी चाहिए। इसी कड़ी में निरंतर के अगस्त अंक में प्रारंभ किया जा रहा है एक नया स्तंभ “जनमंच“। […]

एक और प्रथमः इंटरैक्टिव कहानी

निरंतर काउंटडाउन भाग १ निरंतर एक अभिनव प्रयोग रहा है। यह पहली ऐसी पत्रिका है जो न केवल गैरपेशेवर प्रकाशकों द्वारा निकाली जाती है बल्कि पाठकों को प्रकाशित लेखों पर त्वरित टिप्पणी करने का मौका भी देती है। इस तरह ये सिर्फ ज़ीन नहीं, विश्व की प्रथम ब्लॉगज़ीन बन सकी। किसी भी प्रकाशन में पाठकों […]

फिर वही तलाश

वक्त भी कैसे कैसे रंग दिखाये! कुछ साल पहले तक भारतीय मूल के हॉलीवुड फिल्म निर्माता जगमोहन मूँदड़ा अपनी सी ग्रेड फिल्मों के लिये जाने जाते थे। उनकी फिल्मों की पटकथा में कहानी का कम और सेक्स सीन्स का महत्व ज्यादा रहता था। दर्शक ऐसी फिल्मों में “काम के सीन्स” देखने के लिये ही टिकट […]