डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर को एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि

डॉ. नार्लीकर केवल समीकरणों और ब्रह्मांडीय सिद्धांतों के वैज्ञानिक नहीं थे। वे उस पीढ़ी के प्रतीक थे, जिन्होंने विज्ञान को सामान्य जनमानस से जोड़ा।

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बढ़ती आर्थिक असमानता: भारत के विकास मॉडल पर सवालिया निशान

बी बीसी की इस हालिया रपट को पढ़ कर काफी चिंता हुई। इसके मुताबिक संरचनात्मक असमानता और तकनीकी बदलाव भारत के उपभोक्ता बाजार और आर्थिक प्रक्षेपवक्र को नया आकार दे रहे हैं। भारत की...

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कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति लोगों का विरोध दरअसल एक नई क्रांति की दस्तक है, जहाँ चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला सीखनी होगी।

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आल दी ब्रेस्ट

तो काजोल ने अपनी हसीन बहन तनीशा को अपनी फिल्म “नील एन निकी” की सफलता के लिये क्या कहा? “आल दी ब्रेस्ट”। अब समूची फिल्म में (मेरा मतबल जितनी भी मैं देख पाया) तनीशा ब्रा पहन कर ही घूमती रहीं। दीदार-ए-उभार के सारे रिकार्ड मोहतर्मा की वजह से टूटने से सुना है कि मल्लिका का […]

चाईना रेड थीम का ब्लॉगर रूपांतरण

हिन्दी चिट्ठों के लिये वर्डप्रेस के लोकप्रिय थीम उपलब्ध कराने के प्रयास आवरण की अगली कड़ी में चाईना रेड थीम का ब्लॉगर रूपांतरण प्रस्तुत किया गया है। टेमप्लेट अंग्रेजी या हिन्दी भाषा के ब्लॉग के लिये प्रयुक्त हो सकते हैं। हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

हर तरह से पसंद हैं फिल्में

फिल्में क्यों देखता हूँ? मुझे अच्छा लगता है। हम सभी आक्सीजन, जल और हवा पर जीते हैं पर मन की खुराक कुछ और ही होती है। फिल्में मुझे भाती हैं। जब कभी मन खराब होता है तो यह मुझे गुदगुदाकर हंसा देती है, जब अकेला होता हूँ तो मेरा साथ देती हैं, जब परिवार और […]

आवरण ~ चिट्ठों के ब्लॉगर टेम्प्लेट

काफी दिनों से ये विचार मन में मचल रहा था। वर्डप्रेस के रेड ट्रेन जैसे कुछ ब्लॉग थीम पहली ही नजर में मन को भा गये थे पर अपने ब्लॉगर के ब्लॉग पर उसे लाने की बात पर मन मसोस कर रह जाता था। अब थोड़ा खाली समय मिला तो सोचा क्यों न खुशियाँ बाँटी […]

खेलों में देशभक्ति का विकेंद्रीकरण

ज़रा इस सवाल का जल्दी से बिना ज़्यादा सोचे जवाब दें। भारत का राष्ट्रीय खेल कौन सा है? अगर आप सोच में पड़ गये या फिर आपका जवाब क्रिकेट, टेनिस जैसा कुछ था तो जनाब मेरी चिंता वाजिब है। हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है। पर पिछले कई दशकों में खेलों की हवा का रुख कुछ […]

लताजी को नहीं पता जी?

व्यक्तिपूजन हमारे यहाँ की खासियत है। मकबूलियत मिल जाने भर की देर है चमचों की कतार लग जाती है। मैंने एक दफा लिखा था राजनीति में अंगद के पाँव की तरह जमें डाईनॉसारी नेताओं की, दीगर बात है कि आडवानी ने बाद में दिसंबर तक तख्त खाली करने की “घोषणा” की। पर समाज के अन्य […]