क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?

शुरुआती ईवी के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।

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कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।

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क्या वोट डालना अनिवार्य कर देना चाहिए?

आज के दैनिक भास्कर में मनोहर पुरी ने अपने एक लेख* में एक महत्वपूर्ण बिंदू पर चर्चा की है। क्या वोट डालना अनिवार्य कर देना चाहिए? हालांकि लेखक के इस तर्क से मैं कतई सहमत नहीं कि वोट न डालने वालों को सरकार के कलापों पर नुक्ता चीनी का हक नहीं होना चाहिए पर हाँ […]

अभिव्यक्तिः एक नया हिंदी चिट्ठा

शैल का हिंदी चिट्ठा अभिव्यक्ति इस श्रृंखला में एक और कड़ी है। लख लख बधाईयाँ शैल! हिंदी चिट्ठों की जमात में आपका स्वागत है।

प्रतिक्रिया पर एक प्रतिक्रिया

शैल ने मेरे चिठ्ठे “राजनीतिक योग्यता क्या हो” पर प्रतिक्रिया लिखी हैः बीजेपी को सोनिया से क्या समस्या है ये तो वो ही बता सकते हैं,लेकिन मुझे जो बात खटकती है वो है काँग्रेस की कुनबापरस्ती। आखिर ये लोग नेतृत्व के विचारों का प्रचार करने के बजाय इस बात पर क्यों बल देते रहते हैं […]

नुक्ता चीनी का फीड

ब्लॉगर के सौजन्य से नुक्ता चीनी का एटम फीड अब उपलब्ध है। पाठक अगर नुक्ता चीनी नियमित रूप से अपने एग्रीगेटर के माध्यम से पढ़ना चाहें तो ये फीड काम की चीज़ है। बाक़ी की नहीं जानता पर ब्लॉगलाइन्स पर ये पढ़ा जा सकता है।

राजनीतिक योग्यता क्या हो?

सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर नया दल बना देने वाले शरद पवार उनसे राजनीतिक गठजोड़ के लिए तैयार हैं। जो मौका परस्ती न करें वो नेता भला क्या नेता! भाजपा भी इस मुद्दे को गरमाने के लिए तैयार है। कुछ ही दिनों पहले अटलजी भारतीय मूल के बॉबी जिंदल के लूसियाना के […]

अटली चेहरा सामने आए, असली सुरत छुपी रहे..

वीर सांघवी का कहना है (काफी हद तक मेरे विचारों से मिलता है) “वाजपेयी का कद हमें भाजपा की असली सूरत देखने से रोक देता है। समीकरण से उन्हें निकाल तो हमें ऐसे लोगों का दल मिलेगा जिन्हें सामुहिक हत्याओं से गिला नहीं, जो साधुओं से राजनीतिक परामर्श लेते हैं और जिन्होंने चुनावी रणनीतियां बनाने […]

बस मानसिकता सरकारी न हो

बड़ी खुशी होती है जानकर कि जिस जावा का प्रयोग मेरे जैसे प्रोग्रामर वेब व मोबाईल एप्पलीकेशन्शस बनाने के लिए करते हैं वही मंगल ग्रह पर स्पिरिट नामक रोवर को भी दौड़ा रहा है। वैसे सारा श्रेय नासा को ही जाना चाहिये, जैसा की गोसलिंग ने कहा, “नासा में लोग वो कर रहें हैं जो […]

गांववालों, मैं आ गया हूँ

आलोक और पद्मजा के बाद अब मेरी बारी हिंदी चिठ्ठों की दुनिया में प्रवेश की। पर भारत पाक की बातचीत की तरह ज्यादा उम्मीदें न रखें। रफ्तार तो नल प्वाईंटर वाली ही रहेगी, बदलेगा तो बस अंदाज़े बयां।