क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?

शुरुआती ईवी के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।

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कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।

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अब अबला कहाँ?

फिल्म माई वाईफ्स मर्डर में अनिल कपूर के निभाये पात्र के हाथों अपनी पत्नी का कत्ल हो जाता है। यह फिल्म वैसे किसी चर्चा के लायक नहीं हैं, पर स्टार के ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो में व्यंग्य किया गया कि जहाँ महिलायें कथानक में गुस्सेल पति के बड़ी आसानी से छूट जाने पर खफा हैं […]

पौ बारह

और मुझे लगता था कि ब्लॉगिंग कर भारी पैसा नहीं बनाया जा सकता। डैरेन हर रोज लगभग २३००० रुपये कमाते हैं।

छा न पाई बदली

टैगिंग का जोर बढ़ता जा रहा है। इस बीच देसीपंडित पर देखा तो पता चला टैगक्लाउड यानी “टैगों की घटा” के बारे में। मज़ेदार चीज़ है, काफी कुछ टेक्नोराती टैग जैसी। अब जब हिंदी ब्लॉगमंडल में ८० से ज्यादा चिट्ठों का जमघट हो गया है तो टैगक्लाउड से ब्लॉगमंडल में चलती बातचीत के लोकप्रिय विषय […]

चांद पर चीज़

रश्क होता है गूगल के लोगों की खिलंदड़ी पर। गूगल मैप्स के कुछ लोगों का ताज़ा शगल है गूगल मैप्स पर आधारित गूगल मून। १९६९ की मानव के चंद्रमा पर पदार्पण के नासा के चित्रों पर आधारित जालस्थल। अब आप पूछेंगे कि शीर्षक में यह “चीज़” क्या बला है! ये तो आपको तभी पता चलेगा […]

नाम गुम जायेगा

वैसे मैं जीमेल नाम का इस्तेमाल गूगल मेल की तुलना में कम ही करता था, पर खबर है कि ट्रेडमार्क की लड़ाई में हार के नतीजतन गूगल मेल “जीमेल” नाम का प्रयोग अब नहीं कर पायेगा। तो क्या नाम होना चाहिये आपके मुताबिक? [कड़ी आभार: एरिक]

असली या नकली

अमर सिंह का कथित ब्लॉग पढ़ा। इतने दिनों से सबका लेखन पढ़ते पढ़ते पता चल जाता है कि कौन “में” को “मे” लिखता है, कौन पूर्णविराम की जगह बिंदु लगाता है, कौन किताबें “पड़ता” है, कौन पढ़ता नहीं, कौन लेखन की “ईच्छा” रखता है और कौन कॉमा के पहले “स्पेस” छोड़ता है, कौन लेफ्टी और […]